मुख्यमंत्री के आदेश को नजरंदाज करने वाले बीएसए व लिपिक पर कार्रवाई में हिला हवाली क्यों!
अजय पाण्डेय ने सिद्धार्थ पाण्डेय को शिक्षक बनवाने के लिये मनीराम को खरीदा
पिंटू सिंह
बलिया। मुख्यमंत्री के आदेश को नजरअंदाज करने वाले बीएसए और क्लर्क अजय पाण्डेय के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गयी ? फर्जी तरीके से किये गये भर्ती सिद्धार्थ पाण्डेय को निलंबित क्यों नहीं किया गया ? इससे साबित होता है कि बलिया के बीएसए मनीष सिंह का पूरा संरक्षण क्लर्क अजय पाण्डेय पर है। बात जो भी हो, अब शासन इस पूरे फर्जीवाड़े पर कार्रवाई करेगा या हौसला अफजाई…। शिक्षा विभाग में लिपिक अजय पाण्डेय ने सिद्धार्थ पाण्डेय को शिक्षक बनवाने के लिये मनीराम को खरीदा।
बलिया की सरजमीं पर शिक्षा विभाग में तैनात बीएसए पर बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रूपैया मेहरबान रही हैं। कुर्सी पाने की जुगत और तगड़ी पैरवी के बल पर पूर्व बीएसए मनीराम ने खूब रूपैया कमाया। यहां पर सरकारी नीति नहीं बल्कि मनीराम की हुकूमत चलती थी। जिसने उन्हें दिया मनी, उसके हो गये मनीराम सिंहज्। तभी तो शासन स्तर पर रोक लगाने के बाद भी मनीराम ने अपने दुलारे क्लर्क अजय पाण्डेय के पुत्र सिद्धार्थ पाण्डेय को शिक्षक बना दिया। सवाल ये है कि बीएसए की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी ने सीधे-सीधे सरकार के साथ विश्वासघात कर बेरोजगारों के साथ छल करने का अपराध किया है। लखनऊ की सामाजिक संस्था इस मामले को गंभीरता से लेते हुये मुख्यमंत्री तक फर्जी भर्ती करने एवं भ्रष्टाचार द्वारा कमायी गयी अकूत संपत्ति की जांच की मांग करने जा रही है।बता दें कि सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में शिक्षक की नियुक्ति करने का अधिकार बीएसए को नहीं है, क्योंकि इसका चयन आयोग करता है या फिर शासनज्। सीधी बात करें तो जब सरकार ने अल्पसंख्यक विद्यालयों की भर्ती पर रोक लगा दी है तो तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह ने किस नियमावली के तहत शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति की?
वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने किस हैसियत से अपने च्हस्ताक्षरज् से शिद्धार्थ पाण्डेय को नियुक्ति पत्र दिया ? बता दें कि बेसिक शिक्षा कार्यालय (बीएसए) बलिया में तैनात वरिष्ठ लिपिक अजय पाण्डेय ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये अपने बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल में करा दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिकंदरपुर स्थित गौतमबुद्ध जूनियर हाई स्कूल,बालूपुर में अल्पसंख्यक विद्यालय में वर्ष २०२३ में तात्कालीन बीएसए मनीराम सिंह की मिलीभगत से अपने बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति करा दी। खास बात यह है शासन ने वर्ष २००६ के बाद से प्रदेश में कोई सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल एडेड नहीं किया गया, बावजूद इसके बीएसएस ने शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति शिक्षक पद पर किस नियमावली के तहत की ? बताया जाता है कि अजय पाण्डेय को मालूम था कि सिकंदरपुर तहसील के ऐडेड विद्यालय में दो शिक्षकों के पद खाली है। उसके बाद श्री पाण्डेय ने न्यूज पेपर में भर्ती का विज्ञापन निकाला,जिसे देख शिक्षक पद पर मांगी गयी अर्हता रखने वाले बड़ी संख्या में छात्रों ने आवेदन किया। सभी फार्म सिकंदरपुर तहसील में मंगाये गये, जिस सीट के प्रभारी खुद अजय पाण्डेय थे।
अब सवाल यह उठ रहा था कि यदि साक्षात्कार के दिन सभी अभ्यर्थियों को बुलाया जायेगा तो हो सकता है कि उसके बेटे से भी योग्य छात्र का चयन हो सकता है, इसलिये शातिर दिमाग वाले पाण्डेय जी ने चाल चली। उन्होंने साक्षात्कार के दिन आने के लिये सभी अभ्यर्थियों के पते पर रजिस्ट्री से लेटर भेजा लेकिन लिफाफा खाली थाज्। जी हां, लिफाफा के अंदर साक्षात्कार का कोई पत्र ही नहीं था, जिसकी वजह से अभ्यर्थियों को मालूम ही नहीं चला कि च्किस दिनज् और च्कितने बजेज् साक्षात्कार होना है। साक्षात्कार के दिन किसी और अभ्यर्थी के ना आने पर अजय पाण्डेय के बेटे शिद्धार्थ पाण्डेय का चयन शिक्षक पद के लिये कर लिया गया। बस पाण्डेय जी हो गये अपने निहायत घटिया खेल में कामयाब और करा लिये अपने च्लल्लाज् सिद्धार्थ पाण्डेय का शिक्षक पद पर चयनज्।शर्मनाक बात तो यह है कि इस खेल में पैसे की लालच में च्धृतराष्टज् बनें तात्कालीन बीएसए मनीराम भी बराबर के दोषी हैं।
सवाल यह है जब बीएसए को मालूम था कि ऐडेड स्कूलों में भर्ती पर शासन ने रोक लगा रखी है तो फिर उन्होंने शिद्धार्थ पाण्डेय की नियुक्ति करने की जुर्रत कैसे की ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टॉलरेंस ना अपनाने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फरमान जारी किया है, उसके बाद भी बीएसए और वरिष्ठ लिपिक को डर नहीं लगा कि फर्जी तौर पर भर्ती करने का अंजाम क्या होगा ? खैर, च्द संडे व्यूज़ज् बलिया के बीएसए कार्यालय द्वारा किये गये फर्जी भर्ती के प्रकरण को शासन स्तर तक पहुंचाने का काम करेगा ताकि ऐसे भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सके।