मुख्यालय पर अनुग्रह राशि देने के लिये अनिल कुमार ने बुलायी बैठक, आईं तीन बैंकों की खूबसूरत महिला अधिकारी,क्यों ?

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सवाल: जब पीएम सरकारी बैंकों को मजबूत कर रहे हैं तो एसीएस ने एक्सिस,एचडीएफसी,कोटक महिन्द्रा में क्यों खुलवा रहे खाता ?

सवाल :बैंक में जब बल्क में कंपनी खुलवाती है एकाउंट तो मिलता है बड़ा लाभ,यहां किसकी-किसकी है हिस्सेदारी ?

सवाल: सरकार के खिलाफ क्यों जा रहे हैं शासन में बैठे होमगार्ड विभाग के नौकरशाह ?

सवाल:एसीएस का तर्क-प्राइवेट बैंक जवानों को देंगी बीमा का लाभ,क्या एसबीआई नहीं दे रही है बीमा का लाभ ?

बचाव:एसीएस अनिल कुमार ने अपने बचाव के लिये पत्र में स्वेच्छा शब्द का किया इस्तेमाल,खेल रहे हैं बड़ा खेला…

   संजय पुरबिया

लखनऊ। सरकारी चीज सरकारी ही रहती है । लोग चाहें जितना बुरा-भला कह ले लेकिन जब सब ‘फेल’ हो जाते हैं तो ‘सरकारी हॉस्पिटल’, ‘सरकारी रेल’ और ‘सरकारी बैंक’ हीं काम आता है। मगर लोग ‘कमीशन’ के लालच में ‘प्राइवेट’ के चक्कर में फं स जाते हैं। ऐसा ही कुछ इन दिनों होमगार्ड विभाग में हो रहा है। होमगार्ड विभाग के एसीएस 2 अनिल कुमार सरकार के खिलाफ जाने की ‘जुर्रत’ कर गये हैं। हुआ यूं कि सर ने 21 दिसंबर को प्रदेश भर के अधिकारियों को ‘अनुग्रह राशि’ की बैठक में मुख्यालय बुला लिया लेकिन वहां पर इस मुदद्े पर कोई बात ही नहीं की। वहां पर एक्सिस बैंक,एचडीएफसी बैंक एवं कोटक महिन्द्रा बैंक की तीन ‘खूबसूरत महिला अधिकारी’ मौजूद थीं,जिन्होंने अपने-अपने बैंकों की खासियत के बारे में अधिकारियों को बताया। अधिकारी सकते में थे कि बैठक अनुग्रह राशि की थी लेकिन प्राइवेट बैंक की महिलायें कुछ दूसरा ‘ज्ञान’ बांट रही हैं…। खैर, बैठक खत्म और एसीएस सर तीनों के साथ लंच करने ग्राउंड पर चले गये और सभी मंडल व कमांडेंट खड़े होकर इंतजार कर रहे थे कि कब सर कहें कि अरे भईया आपलोग भी आओ और लजीज व्यंजन का लुत्फ उठाओ…। घंटों बाद अधिकारियों का नंबर आया और खाना खाकर चले गये। हास्यापद बात यह भी है कि जिन अधिकारियों को घंटों बाद खाना नसीब हुआ,सभी ने प्रति प्लेट 1000 रुपये दिये थे। खैर, द संडे व्यूज़ तो सवाल करेगा ही...। अनिल जी, क्या सरकारी बैंक होमगार्डों को बीमा की सुविधा नहीं दे रही है ? आखिर ऐसा क्या हो गया कि आप देश की सबसे बड़ी, सबसे भरोसेमंद एसबीआई बैंक से होमगार्डों का एकाउंट बंद कर एक्सिस,एचडीएफसी व महिन्द्रा बैंक में खोलने जा रहे हैं ? अनिल जी,आपने पत्र में ‘स्वेच्छा’ शब्द का इस्तेमाल कर अपना बचाव तो कर लिया लेकिन तीनों बैंक में खाता खोलने से क्या फायदा मिलेगा,इसे लेकर खुद डीजी विजय कुमार भी ‘सन्नाटे’ में हैं। अधिकारियों ने बताया कि बैठक के दौरान डीजी साहेब ने ‘खामोशी’ की चादर ओढ़ रखी थी। मुख्यालय के अधिकारियों की मानें तो ‘कमीशन’ की रेस में लंबी दौड़ लग गयी है…जो ‘करोड़ों’ में है…।शासन में बैठे अपर प्रमुख सचिव 2 अनिल कुमार ने एक पत्र जारी किया है। होमगार्ड के सैलरी अकाउंट अब एक्सिस बैंक, एचडीएफ सी बैंक और कोटक महिंद्रा में खोले जायें। बहाना ये की ये बैंक इंश्योरेंस और लोन जैसी सुविधा भी देंगे। अरे गुरुजी, क्या एसबीआई जैसे सरकारी बैंक ये सुविधा नहीं दे रहे हैं ? गुरुजी,अब तो सवाल आपसे बनता ही है कहीं प्राइवेट बैंक में एक लाख लोगों का अकाउंट खोल कर कोई बड़ा हाथ तो आजमाना नहीं चाह रहे हैं ? आखिर ऐसा क्या दिख गया अनिल जी की आपने ‘स्पेशल मीटिंग’ बुलाकर सभी अधिकारियों को ये बात समझाना पड़ा ? आखिर इसके अलावा भी कई मुद्दे थे,मगर आज तक कभी मीटिंग नही हुई…। अनिल जी,क्या ‘राइफल’ जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कभी भी मीटिंग बुला कर पूछा की डीआईजी रंजीत सिंह जी, राइफल कहां गायब हो गया ? अरे साहेब,आखिर प्राइवेट बैंकों ने ऐसा क्या दिखा दिया की साहब खुद मीटिंग करने चले आये…। मजे की बात ये की पूरी मीटिंग में डीजी साहब एक ‘शब्द’ नही बोले। क्या उनको ये पसंद नही आया की बेवजह कोई उनके मुख्यालय में दखलंदाजी कर रहा है? मगर मुद्दा बहुत गरम हैं क्योंकि बात ‘परमिशन’ और ‘कमीशन’ दोनों की है भईया…। वैसे भी 2021 ‘अंगड़ाई’ ले रही है 2020 की बेला ‘निहार’ रही है।

अनिल जी, किसी भी बैंक को हर महीने 20000 गुणे 100000 = 2000000000 अर्थात दो अरब का सेविंग, सैलरी अकाउंट मिलेगा तो वो साहब के लिये लाल कालीन तो क्या कुछ भी बिछा सकता है,जिसका कई लोग शौक रखते हैं। वैसे भी कर्रा-कर्रा नोट किसे काटता है महाराज…मुद्दा इसलिए भी गरम है कि 8 पन्ने की शिकायत अभी भी मार्केट में उछल-उछल कर दौड़ रही है। बैठक के बाद कुछ अधिकारियों ने तो दबी जुबान में यहां तक बोल दिये कि शायद सर ये चेक करने आये थे कि क्या अभी भी उनक विरोध तो नही चल रहा ? मगर अधिकारी तब मायूस हो येे जब सर महिला अधिकारियों के साथ गुलाबी ठंड में ग्राउंड पर शानदार, लजीज खाने का आनंद ले रहे थे और अधिकारियों को लंब अंतराल के बाद खाना नसीब हुआ…। इस दौरान अधिकारी अपने को होमगार्ड की तरह महसूस कर शरमा और गुसिया रहे थे।

आखिर साहब की ऐसी क्या मजबूरी थी कि होमगार्डों के ‘अनुग्रह राशि’ की मीटिंग बुलाकर बिना बताये एचडीएफ सी बैंक के साथ ‘एमओयू’ साइन करने की ‘सेरेमनी ’माननी पड़ी ? द संडे व्यूज़ से एक सीक्रेट बात और पूछ रहे हैं अधिकारी कि क्या गेंदे लाल बीओ के अलावा भी कुछ लोग हैं जो ‘अंदरखाने’ में ‘नव-युवतियों’ रंगरूटों के साथ ऐंठिया-ऐंठिया कर डांस कर रहे हैं। अगर परेड ऐसे ही जारी रही तो शायद अभी और ‘मसालेदार वीडियो’ देखने को मिल जाये ।
बने रहिये ‘पुरबिया’ के साथ …

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