स्मार्ट सिटी की राह में चुनौती है सफाई व्यवस्था

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ब्यूरो

लखनऊ। सरकार गवर्नमेंट टू सिटीजन (जीटूसी) परियोजनाओं का दायरा बढ़ा रही है। मकसद नागरिक सुविधाओं को बढ़ाना है। लेकिन अभी सफाई व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाएं ही सुचारू ढंग से काम नहीं कर रही हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी लखनऊ का ख़्वाब पूरा होने में अभी वक्त लग सकता है।


2100 करोड़ की लखनऊ स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्य किए जा रहे हैं।2016 में लखनऊ को स्मार्ट सिटी के फास्ट ट्रैक में चुना गया। फिलहाल 100 शहरों की स्मार्ट सिटी रैंकिंग में लखनऊ का स्थान आठवां है। शहर की सूरत बदलने के लिए इसी साल अप्रैल में 100 दिन की खास कार्ययोजना बनी है, जिसके तहत 159 परियोजनाओं का काम पूरा होगा। यह स्थिति योजनाओं के स्तर पर है, लेकिन जमीन पर हालात बहुत ज्यादा बेहतर नहीं हैं। फिलहाल डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने और मोहल्लों की सफाई व्यवस्था तक नियमित नहीं हो सकी है। अकेले निशातगंज वार्ड में ही इसकी बानगी दिख जाती है। रविवार को यहां न्यू हैदराबाद क्षेत्र के निवासियों ने जगह-जगह कूड़ा न उठाए जाने की‌ शिकायत की है।

स्थानीय निवासियों की ओर से मनीष और अमन ने बताया कि भंडारण निगम दफ्तर के बाहर व अन्य आसपास की गलियों से नियमित तौर पर न कूड़ा उठता है, न नालियों की सफाई होती है। जिससे यहां रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। दूसरी तरफ स्थानीय पार्षद विनीता सिंह के मुताबिक कूड़े की गाड़ियां पर्याप्त संख्या में हर घर तक जाती हैं। लेकिन हाॅस्टल, भंडारण निगम दफ्तर व दुकानदार जैसे कुछ बाहरी लोग अपने नागरिक दायित्व का निर्वहन नहीं करते। कूड़ा इधर-उधर ढेर कर देते हैं। बावजूद इसके लगातार सफाई व्यवस्था को सुचारू रखा जाता है। नागरिकों से जिम्मेदार बनकर क्षेत्र को स्वच्छ व सुंदर बनाने की दिशा में सहयोग करने की अपील की जाती है।

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