सीमा राणा प्रकरण: घोटालेबाज निदेशक क्यों बचा रहे हैं भ्रष्ट  सीमा राणा को? जांच अधिकारी भानू प्रकाश को बदलने के लिये शासन को लिखा पत्र…

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भानू प्रकाश हैं ईमानदार अधिकारी,जांच में सीमा से मांगे दस्तावेज, नहीं सौंपी रिकार्ड

सवाल: क्या सीमा राणा ने घोटाले की रकम में से निदेशक तक पहुंचायी है रकम ?

सवाल: क्या निदेशक के ईशारों पर प्रदेश के उद्यान निदेशक कर रहे हैं घोटाले ?

सवाल: आखिर निदेशक तोमर को कितने परसेंट का कमिशन दे रहे हैं घोटालेबाज उद्यान अधिकारी ?

सवाल: सीएम कार्यालय,लोकभवन,शासन है चंद कदम की दूरी पर फिर क्यों नहीं हो रही महाभ्रष्ट निदेशक,सीमा राणा पर कार्रवाई ?

 संजय पुरबिया

लखनऊ। द संडे व्यूज़ में खबर प्रकाशित होने के बाद उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग में घोटालेबाज अधिकारियों की नींद हराम है। सभी उद्यान अधिकारी ‘व्याकुल भारत’ की तरह लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय और लोकभवन से एक किलो मीटर की दूरी पर बने अपने आका, महाभ्रष्ट,घोटालेबाज निदेशक आर.के.तोमर को बारंबार ‘फोनिया’ रहे हैं। सभी की गुहार है कि हे मेरे आका हमलोगों को बचा लो…। सभी जानते हैं कि आका के ‘शातिराना दिमाग’ के आगे मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर लोकभवन में बैठे विभागीय प्रमुख सचिव,विशेष सचिव, सब बेकार हैं

अब देखिये,प्रतापगढ़ की जिला उद्यान अधिकारी डॉ. सीमा राणा के खिलाफ शासन ने प्रतापगढ़ में लगभग 20 वर्ष से तैनाती, बिना गाड़ी चले 44,520 रुपये प्रति माह पेट्रोल का बिल हड़पने, माइक्रोएरिगेशन लगा नहीं और लाखों का भुगतान कराने सहित फर्जी किसान बनाकर उनके खेतों में माइक्रोएरिगेशन लगाकर पिछले पांच वर्ष के दौरान हजारों लाख रुपये का गबन करने के मामले में शासन के विशेष सचिव संदीप कौर ने जांच बिठा दी। मुख्यालय पर तैनात ईमानदार संयुक्त निदेशक भानू प्रकाश को जांच सौंपी और 15 दिनों केे अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। भानू प्रकाश की जांच में जब सीमा राणा से शिकायतकर्ताओं द्वारा लगाये गये आरोप पर अपनी बात दस्तावेज के साथ रखने की बात रखी गयी तो उनके होश फाख्ता हो गये। भानू प्रकाश ने शिकायतकर्ताओं से भी बयान लिया। जांच की तपीश तेज होते ही सीमा राणा और उनके पति ,उप-निदेशक पंकज कुमार शुक्ला ने जांच अधिकारी को घेरने का हर संभव प्रयास किया लेकिन नाकाम साबित हुये। इस पर इनलोगों ने निदेशक आर.के.तोमर से मिले और साहेब ने आव देखा न ताव,शासन को पत्र लिख दिया कि जांच अधिकारी भानू प्रकाश को हटाकर उनकी जगह किसी दूसरे अधिकारी को तैनात किया जाये…।

 

तोमर साहेब यदि आप ईमानदारी से सरकार की नीतियों के हिसाब से जांच चाह रहे होते तो ऐसा कभी नहीं करते…। आखिर आप भ्रष्टाचार कर सरकारी धन का लूटने वाले अधिकारी को क्यों बचाना चाहते हैं ? कहीं इस खेल में आप तक भी चढ़ावा तो नहीं चढ़ाया गया है ? फिलवक्त,जांच अधिकारी भानू प्रकाश अपनी जांच पर आज भी टिके हैं। भानू प्रकाश का साफ कहना है कि शासन ने मुझे जो जांच सौंपा है,उसमें दूध का दूध पानी का पानी करूंगा। मैं किसी के दबाव में आने वाला नहीं हूं। मैंने सीमा राणा से डाक्यूमेंट मांगे लेकिन अभी तक नहीं मिला है और शिकायर्ताओं से भी बात की। देखते हैं आगे क्या होता है…

बता दें कि द संडे व्यूज़ ने को शीर्षक विशेष सचिव ने भ्रष्ट पंकज कुमार शुक्ला,डॉ. सीमा राणाा के खिलाफ बिठायी जांच में मुद्दा उठाया था।  28 जुलाई को शीर्षक पार्ट 1 में घोटाले का खुलासा किया है,जिसका शीर्षक निम्र है- ‘उप-निदेशक पंकज शुक्ला और उद्यान अधिकारी डॉ.सीमा सिंह राणा की जुगलबंदी ने कर दिया 6 करोड़ का घोटाला’ में … उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग से हरियाली गायब होती जा रही है। उद्यान की हरियाली जहरीले कीड़ों की वजह से नहीं बल्कि जहरीली सोच रखकर सरकार की खूबसूरत योजनाओं को खा जाने वाले अफसरों की वजह से हो रही है। सरकार चाहती है कि प्रदेश हरा-भरा हो लेकिन कैसे? उद्यान विभाग में डायरेक्टर से लेकर जिलों में तैनात अधिकारी,सभी योजनाओं में फर्जीवाड़ा कर अपना हित साध रहे हैं। योजनायें तो चलायी जा रही है लेकिन भुगतान फर्जी किसानों के नाम पर अपने कर्मचारियों के नाम पर कराकर अफसर करोड़पति बन रहे हैं और बदनाम सरकार और विभागीय मंत्री हो रहे हैं। भ्रष्टाचार की द संडे व्यूज़ स्पेशल आपको बतायेगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच को किस तरह से ध्वस्त कर रहे हैं उद्यान विभाग के अफसर…।भ्रष्टाचार की सिलसिलेवार कहानी में आज हम बात करेंगे प्रयागराज से….। प्रयागराज में तैनात उप-निदेशक पंकज शुक्ला की,जिन्होंने एक नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की दर्जनों गाथा लिखकर मानों ठान लिया हो कि वे सरकारी खजाने को लूटते रहेंगे,देखते हैं…। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बात की जानकारी उद्यान विभाग के निदेशक डॉ.आर.के.तोमर को है लेकिन उन्होंने कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा। खैर, भ्रष्टाचार की परत आज नहीं तो कल खुलता है और इसकी शुरुआत प्रतापगढ़ की अनीता देवी ने किया। मुख्यमंत्री और उद्यान मंत्री को भेजे गये गोपनीय पत्र में इन्होंने उप-निदेशक पंकज शुक्ला पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं। इस गोपनीय पत्र ने शासन में हड़कम्प मचा रखा है।


गोपनीय पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रयागराज में तैनात उप-निदेशक पंकज शुक्ला की मिलीभगत कर जिला उद्यान अधिकारी डॉ.सीमा सिंह राणा,सहायक उद्यान निरीक्षक एवं निलंबित इन्द्रमणि यादव,कम्प्यूटर आपरेटर अजय कुमार गुप्ता ने  2021-22 में विभागीय योजनाओं की राजकीय धनराशि लगभग 6 करोड़ की लूट की है। पंकज शुक्ला ने फलदार वृक्षारोपण कार्यक्रम अंतर्गत धनराशि1500000 रुपये का आहरण कर घोटाला किया है। जबकि राजकीय पौधशाला मुख्यालय में सिर्फ एक हजार ही पौधे तैयार किये गये हैं। आहरण किये गये धनराशि के सापेक्ष राजकीय पौधशाला मुख्यालय में तैयार किये गये पौधे का आकस्मिक जांच करायी जाये तो घोटाले का खुलासा हो जायेगा। इसी तरह,मिशन योजना में श्रीमती राम भोली पत्नी हीरालाल गुप्ता का पुत्र अजय कुमार गुप्ता,जो कार्यालय में ही कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर तैनात है। इसने प्रोजेक्ट बेस कार्यक्रम में पावर टिलर क्रय किये बिना सिंह इंटर प्राइजेज,लालगंज,अझारा,प्रतापगढ़ के नाम 3 फरवरी 2022 को फर्जी बिल संख्या 204 बनाकर 1,70240 रुपये कूटरचित तरीके से तैयार करके 75000 रुपये का भुगतान ले लिया। यदि तहसील प्रभारी सदर सत्यभान सिंह एवं सहायक उद्यान निरीक्षक से उक्त बिल के आधार पर संबंधित फर्म से सत्यापन करा ली जाये तो फर्जी बिल भुगतान का पोल खुल जायेगा।

इतना ही नहीं, पैक हाउस कार्यक्रम के किसान श्रीकृष्ण कुमार सिंह ग्राम कोलबजरडीह,वि.ख. सण्डवा चंद्रिका ने शिव फर्नीचर बझान सण्डवा-चंद्रिका,प्रतापगढ़ के बिल पर सीमेंट,सरिया,बालू आदि सामग्री के सापेक्ष 2 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया है। जबकि शिव फर्नीचर सीमेंट,बालू सरिया का अधिकृत विक्रेता है ही नहीं? संबंधित तहसील के प्रभारियों के अभिलेख में ये अधिकृत विक्रेता नहीं है,जांच करा ली जाये…। ऐसे अनगिनत फर्म हैं,जिनका जी.एस.टी. में एच.एस.एन. कोड है ही नहीं,उन्हें अनियमित तरीके से भुगतान किया गया है। यदि समस्त अभिलेखों की जांच करा ली जाये तो बड़ा घोटाला उभर कर सामने आ जायेगा।गोपनीय पत्र में यह आरोप भी लगाया गया है कि माइक्रोएरीगेशन वर्ष 2019-20 एवं 2021-22 में सैंकड़ों ऐसे किसान हैं जिनके पास जितनी जमीन है इनके द्वारा दुबारा योजना का लाभ दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि उसी जमीन पर वर्ष2021-22 के अंतर्गत ड्रिप,मिनिस्प्रिंकलर का भुगतान किया गया है। सैंकड़ों ऐसे भी किसान हैंजिनके पास जितनी जमीन है,उससे कई गुना अधिक जमीन दिखाकर ड्रिप,मिनिस्प्रिंकलर का भुगतान कर दिया गया है। मसलन,छोटेलाल ग्राम बेसार,वि.ख.पट्टी,प्रतापगढ़,अमरनाथ ग्राम गोपालपुर वि.ख.सांगीपुर,प्रतापगढ़,जो अनुसूचित जाति के किसान हैं,को दो हेक्टेयर का कार्यक्रम दिखाकर स.220869 रुपये का भुगतान कर दिया गया है,इनकी खतौनी एवं स्थलीय सत्यापन कर लिया जाये तो पर्दाफाश हो जायेगा। इसी तरह,जयप्रकाश सिंह ग्राम छतरपुर वि.ख. सण्डवा,चंद्रिका,प्रतापगढ़ के एक हेक्टेयर मिनी स्प्रिंकलर को 116166 रुपये के अनुदान का भुगतान कर दिया गया है जबकि श्री सिंह विगत् तीन सालों से उसी जमीन,खतौनी पर कई कार्यक्रम का लाभी उठा रहा है।

नियम की बात करें तो एक योजना का लाभी लेने वाले किसान आगामी तीन वर्ष बाद ही योजना का लाभ ले सकते हैं,फिर इन पर इतनी मेहरबानी क्यों? जांच का विषय है। उक्त योजना के सभी दस्तावेज संबंधित तहसील प्रभारियों से डीबीटी बिल,खतौनी, आवेदन पत्र,रजिस्ट्रेशन की पावती से मिलान करते हुये उनके सापेक्ष कराये गये कार्यक्रमों की जमीनी जांच करा ली जाये तो बड़ा घोटाला उभर कर सामने आ जायेगा।बहरहाल,अनीता देवी द्वारा लगाये गये गंभीर आरोप में शासन में बैठे उद्यान विभाग के अफसरों के होश उड़ा दिये हैं। इस बाबत अनीता देवी ने कहा कि जांच करा ली जाये,सच सामने आ जायेगा। वहीं कुण्डा प्रतापगढ़ से भाजपा के जिलाध्यक्ष,युवा मोर्चामनोज कुमार यादव ने कहा कि मैंने भी उद्यान विभाग में हुये घोटाले का खुलासा कर भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। पूरी उम्मीद है कि जीरो टॉलरेंस के पक्षधर मुख्यमंत्री घोटाला करने वालों को बख्शेंगे नहीं।

नोट : अगले अंक का इंतजार करें,सच देखने वालों को पूरा मजा आयेगा…। फिर होगा नया खुलासा…।

नोट:साथियों यदि आपको लगता है कि ‘द संडे व्यूज़’ ‘सच लिखने का दम’ रखता है तो कृपया कर मेरे पोर्टल को सब्सक्राइब जरूर करें…

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