यूपी विधानसभा : महिलाओं के मुद्दे पर महिला विधायक ही नहीं दिखीं एक राय

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47 में से 40 महिलाओं ने ही लिया चर्चा में हिस्सा

…जब भावुक हो गई महाराजी प्रजापति

लखनऊ।

विधानसभा में बृहस्पतिवार को महिलाओं के मुद्दे पर हुई चर्चा में महिला विधायक ही एक राय नहीं दिखीं। महिलाओं के सशक्तिकरण, सुरक्षा, स्वावलंबन, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर सरकार द्वारा संचालित योजनाओं पर चर्चा के बजाय सत्ता पक्ष और विपक्ष की महिला जनप्रतिनिधि आपस में ही बंटी रहीं। महिलाओं की दुर्दशा के लिए दोनों पक्षों ने एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। सत्ता पक्ष की महिला विधायकों ने जहां योगी सरकार द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गई मिशन शक्ति और अन्य योजनाओं को महिलाओं के सुरक्षा, स्वावलंबन, स्वास्थ्य और शिक्षा की दिशा में बदलाव लाने के लिए मील का पत्थर बताया, वहीं विपक्ष की महिला सदस्यों ने प्रदेश में महिलाओं पर बढ़ रहे अपराध के लिए सरकार को घेरा।

यूपी के संसदीय इतिहास में पहली बार विधानसभा सत्र में बृहस्पतिवार का दिन सिर्फ महिला सदस्यों के बोलने के लिए आरक्षित किया गया था। महिला विधायकों ने भी इस मौके का पूरा फायदा उठाया। हालांकि सत्ता और विपक्ष की सदस्यों ने महिलाओं से जुड़ी किसी खास मुद्दे पर चर्चा करने के बजाये अपनी-अपनी पार्टियों के तय एजेंडे के ही तहत एक दूसरे को घेरती रही। सत्ता पक्ष की महिलाओं ने कहा कि योगी के नेतृत्व में सरकार बनते ही सबसे पहले महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में कई अहम निर्णय लिए गए। सरकार ने सबसे पहले छात्राओं के साथ छेड़खानी करने वालों को सबक सिखाने के लिए ‘एंटी रोमियो एस्क्वायड’ का गठन किया गया। इसकी ही नतीजा है कि आज छात्राएं व बेटियां बेफिक्र होकर स्कूल जाती हैं।

सत्ताधारी विधायकों ने सरकार द्वारा महिलाओं ने मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, कन्या विवाह अनुदान योजना जैसी योजनाओं को महिलाओं के लिए मील का पत्थर बताया, तो विपक्ष की महिलाओं का कहना था कि सरकार की सभी योजनाएं कागजी हैं और जमीन पर इसका लोगों को फायदा नहीं मिल रही है। सपा की महिला सदस्यों ने कहा कि सरकार से अनुदान न मिलने की वजह से तमाम गरीब कन्याओं की शादी नहीं हो पा रही है। महिला विधायकों ने इसके लिए सरकार के साथ ही अधिकारियों को भी जिम्मेदार ठहराया। इनका कहना था कि हमें तो लगता है कि सरकार तक जमीनी हकीकत की सूचना पहुंचती ही नहीं है। अधिकारी सुनते नहीं हैं। ऐसे में योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिल पा रहा है।

सत्ता पक्ष की महिलाओं का कहना था कि सरकार की योजनाओं की वजह से महिलाएं जहां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदम का ही नतीजा है कि पहली बार विधानसभा में बड़ी संख्या में महिलाएं चुनकर आई हैं। वहीं, विपक्ष की महिला सदस्यों ने सरकार से राजनीति के साथ ही सरकार नौकरियों में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग रखी। तमाम महिला सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यों में भेदभाव का भी मुद्दा उठाया।

इस बार कुल 47 महिला विधायक चुनकर विधानसभा पहुंची हैं। जिसमें सर्वाधिक संख्या भाजपा की 29 है और उसकी सहयोगी अपना दल एस की 3 सदस्य हैं। इस प्रकार सत्ता दल में कुल 32 महिला सदस्य हैं। जबकि मुख्य विपक्षी सपा में 14 और कांग्रेस की एक महिला सदस्य हैं। महिलाओं के लिए आयोजित विशेष चर्चा में 47 में से 40 महिला सदस्यों ने हिस्सा लिया। जबकि उपस्थित नहीं होने की वजह से 7 महिलाएं इस विशेष चर्चा में भाग नहीं ले पाई। सपा की पल्लवी पटेल अस्वस्थ होने की वजह से अनुपस्थित थीं।

चर्चा के दौरान जब अमेठी की सपा विधायक महराजी प्रजापति की बारी आई तो उन्होंने अपने पति व पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति का मुद्दा उठाया। भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि उनके पति के साथ अत्याचार किया जा रहा है। उनके साथ सभी लोगों की जमानत हो गई है, लेकिन उन्हें जमानत नहीं दी जा रही है, जबकि उनकी तबीयत खराब है। उन्होंने कहा कि बच्चों की शादी तक नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से क्षमा याचना करते हुए कहा यदि मेरे पति से कोई गलती हुई तो अब उन्हें क्षमा करते हुए सरकार जमानत दिलाने में मदद करे। 

 

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