ठेकेदार ने 6 रूपये प्रति नीबू का रेट बढ़ाने का डाला दबाव,नहीं मिली कामयाबी तो फोड़ दिया नीबू घोटाले का बम

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बाराबंकी जेल में नहीं हुआ नीबू खरीद घोटाला ,ठेकेदार की नियत हुयी खराब और कर दिया खेला…

ठेकेदार ने 6 रूपये प्रति नीबू का रेट बढ़ाने का डाला दबाव,नहीं मिली कामयाबी तो फोड़ दिया नीबू घोटाले का बम

एक्शन मोड में आये डीजी आनंद कुमार : डीआईजी संजीव त्रिपाठी को सौंपी जांच, कोरोना काल में कैदियों को मिला एक-एक नीबू

जनवरी से मार्च के बीच कैदियों को इम्यूनिटी सिस्टम ठीक रखने के लिये दिया गया था नीबू

  संजय पुरबिया

लखनऊ। बाराबंकी जेल में कोरोना काल में बंदियों की इम्यूनिटी सिस्टम ठीक करने के लिये नीबू देने का निर्देश शासन स्तर पर जारी किया गया था। आयुष मंत्रालय के निर्देशानुसार जेल में तैनात तीनों चिकित्सकों से सलाह-मशविरा करने के बाद प्रति बंदी एक-एक नीबू दिया गया। कोरोना काल के बाद जब ठेकेदार को भुगतान करने की बारी आयी तो उसकी नियत में खोट आ गयी। ठेकेदार ने बढ़े हुये रेट से बाराबंकी जेल में आपूर्ति की गयी नीबू भुगतान करने की बात कही,जो जेल अधीक्षक,बाराबंकी को नागवार गुजरी। उन्होंने अतिरिक्त भुगतान के लिये मना कर दिया। उसके बाद नीबू की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार ने षडय़ंत्र के तहत नीबू घोटाले की हवा उड़ा दी। एक दैनिक अखबार में खबर को प्रमुखता के साथ उठाया गया जिससे सरकार की किरकिरी होने लगी। मामले की गंभीरता को देखते हुये डीजी,जेल आनंद कुमार ने तत्काल जांच बिठा दी। उन्होंने तेज-तर्रार डीआईजी संजीव त्रिपाठी को जांच सौंपी। जांच रिपोर्ट में बात सामने आयी की बाराबंकी जेल में नहीं अुआ 36 कुंतल नींबू का घोटाला। ठेकेदार ने कूटरचित तरीके से मामले को उछालकर विभाग की छवि खराब करने की कोशिश की है।

डीआईजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जेल में बंद विभिन्न बंदियों से पूछताछ में पता चला है कि माह जनवरी 2022 के बीच उन्हें एक-एक नींबू कोरोना से बचाव के लिये दिया गया था। कुछ बंदी उसे खाने के समय प्रयोग करते थे और कुछ उसका प्रयोग बाद में करते थे। बयानों में सभी बंदियों द्वारा कोरोना अवधि जनवरी से मार्च के बीच नींबू मिलने की बात बतायी गयी है। कुछ बंदी एसिडिटी की वजह से नींबू नहीं लेते थे।

पत्र में यह भी लिखा है कि बाराबंकी जेल में आयुष मंत्रालय की गाईड लाइन के अनुसार यहां पर तैनात तीन डॉक्टरों की संयुक्त टीम तथा जेल मैनुअल के प्रस्तर 544 के प्राविधानों के अनुरूप बंदियों को कोरोना से बचाव के लिये प्रतिदिन एक नींबू दिया जाता था। इसके अलावा संबंधित अन्न भंडार,प्रभारी उप कारापाल,कारापाल एवं अधीक्षक द्वारा भी जेल मैनुअल प्रस्तर 544 अंतर्गत जनवरी से मार्च के बीच बंदियों को नींबू क्रय कर दिये जाने की बात कही गयी है। जांच में ऐसा लगा कि नींबू की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार द्वारा ही नींबू के दाम कम हो जाने पर और उससे जेल स्तर पर नींबू की आपूर्ति न लिये जाने के कारण,उसको हुयी आर्थिक क्षति से कुपित होकर उक्त शिकायत की गयी। बहरहाल,जांच रिपोर्ट आने के बाद जहां बाराबंकी जेल के अधिकारी भले ही राहत की सांस ले रहे हों लेकिन नींबू की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार ने जो खेला खेला,उससे जेल विभाग में भूचाल आ गया था।
इस बाबत डीजी,जेल आनंद कुमार ने बताया कि बाराबंकी जेल में नींबू घोटाले की खबर सुनते ही मैंने डीआईजी को जांच सौंप दी लेकिन इसमें किसी की कोई गल्ती नहीं थी। नींबू की सप्लाई करने वाले ठेकेदार ने भ्रामक खबरें फैलायी थी।बताया कि कोरोना काल में जिस वक्त उसे नींबू सप्लाई करने का काम मिला था,उसके बाद नींबू का रेट बढ़ गया और उसकी नीयत खराब हो गयी होगी। जांच रिपोर्ट में सच सभी के सामने आ गया है।

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