‘स्वच्छता’ और ‘सतर्कता’ से दूर रखा जा सकता है रोग: योगी

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आरोग्य भारती की अखिल भारतीय प्रतिनिधि मंडल की बैठक में सीएम योगी ने की शिरकत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने प्रतिनिधियों को किया संबोधित

  धनीष श्रीवास्तव।
लखनऊ। एलडीए कालोनी कानपुर रोड स्थित सीएमएस ऑडिटोरियम में आरोग्य भारती की दो दिवसीय बैठक का आयोजन हुआ। बैठक के उद्घाटन सत्र को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संबोधित किया और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की प्राथमिकताओं से अवगत कराया। बैठक में सीएम ने भारत के सभी राज्यों से आए आरोग्य भारती के प्रतिनिधियों से कहा कि कोरोना के दौरान आरोग्य भारती ने सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर बिना भेदभाव के सबको आरोग्यता प्रदान करने के लिए कार्य किए। कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वयंसेवक, वैद्य, चिकित्सक सेवा भाव से जुटे रहे। प्रधानमंत्री के प्रबंधन, सरकारी मशीनरी के अलावा स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस संकट के दौर में बहुत काम किया। कोरोना में भारत का परिणाम दूसरे देशों से बेहतर रहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आधी बीमारी ‘स्वच्छता और सतर्कता’ से दूर कर सकते हैं। उन्होंने स्वयं का अनुभव बताते हुए कहा कि ‘जब मैंने गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस के खिलाफ स्वच्छता का अभियान शुरू करते हुए साबुन वितरण जैसे कार्य शुरू किए तो मेरे खिलाफ तीन दिन मीडिया ट्रायल चला कि गरीबी का अपमान हो रहा है, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। वैक्सीन, इलाज सहित तमाम प्रयास किए जाते रहे। इसी का परिणाम रहा जहां बीते 40 बरसों में इस बीमारी से 50 हजार बच्चों की मौत हुई थी, आज यह बीमारी खत्म होने की ओर है। उद्घाटन सत्र में आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ राकेश पंडित ने सभी अतिथियों का अभिवादन किया। संस्था की पत्रिका आरोग्य संपदा के नए अंक का विमोचन किया गया। बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने वर्चुअल संबोधन के माध्यम से कहा कि सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत तेजी से कार्य कर रही है। देश में 174 नए मेडिकल कॉलेजों खोले जा रहे हैं। इसके अलावा एम्स की संख्या बढ़ाने के साथ डाॅक्टर और मेडिकल सीटों को बढ़ाया गया है। प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्रों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जेनरिक दवाइयों को बढ़ावा देने का परिणाम है कि सस्ती दवाई के माध्यम से 15 हजार करोड़ रुपए अभी तक भारत के आम लोगों ने बचाया है।

उन्होंने कहा कि आपातकाल में आज पूरी दुनिया हमारी तरफ देखती है। हमनें कोरोना काल में 150 देशों को दवाई और वैक्सीन उपलब्ध कराई। बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डाॅ मनमोहन वैद्य ने प्रतिनिधियों से कहा कि भारतीय पहचान को अगर हम सबके बीच में जगाते हैं तो जो विभाजनकारी ऊर्जा काम कर रही हैं। भेदभाव पैदा करके आपस में लड़ाने-भिड़ाने का कार्य कर रही हैं, वह सफल नहीं होंगे। भारतीय समाज की समृद्धि बताते हुए उन्होंने 1988 में गुजरात के सौराष्ट्र में पड़े अकाल के एक संस्मरण का जिक्र किया। बताया कि उस दौरान जब लोग अकाल पीड़ितों को सामर्थ्य के अनुसार राहत सामग्री पहुंचा रहे थे, एक निर्धन सी दिखने वाली बुजुर्ग महिला एक खाद्य पदार्थ जिसे वहां ‘सुखड़ी’ कहा जाता है, मांग रही थी। लोगों ने उससे कहा कि ऐसे संकट के वक्त में आप वहां कुछ देने के बजाए मांग रही हैं, तो उसने अपनी साड़ी के पल्लू में से कुछ सुखड़ी निकालकर दीं, जो उसने भिक्षा में आटा मांगकर पीड़ितों को भेजने के लिए बनाई थीं। यानी वो महिला खुद के बजाए सूखा पीड़ितों की सहायता के लिए भिक्षा ले रही थी। ऐसी महान भारत की संस्कृति है।

उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ बीएन सिंह और राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. प्रवीण भावसर ने देश‌ के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों को आरोग्य भारती के भविष्य की रूपरेखा से अवगत कराया। मंच पर राष्ट्रीय महामंत्री सुनील जोशी, प्रांत अध्यक्ष डाॅ. एसपी सिंह व सीएमएस के संस्थापक जगदीश गांधी मौजूद थे। शनिवार को मध्यान्ह के बाद बैठक के द्वितीय सत्र में केंद्रीय आयुष आयुक्त राजेश कुटेचा ने आरोग्य मित्र प्रशिक्षण के दौरान कई अहम बातों का ख्याल रखने संबंधी जानकारी दी। रविवार को बैठक के दूसरे दिन आरोग्य भारती के प्रतिनिधियों ने वर्ष भर के लिए 24 विषयों पर 750 से अधिक जिलों की कार्ययोजना तय की। सेवा भाव के साथ अपने-अपने क्षेत्र में कार्य करने की प्रतिज्ञा के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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