प्रयागराज में 69 शिक्षकाें की अवैध तरीके से हुई भर्ती-आवेदन बाद में, वेतन का भुगतान पहले हो गया

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प्रयागराज।   शुआट्स में ग्रांट इन एड वाले 69 पदों पर नियुक्ति मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, अनियमितता की नई परतें खुलती जा रही हैं। एक ऐसा भी मामला सामने आया, जिसमें जांचकर्ताओं को पता चला कि आवेदन बाद में किया गया, लेकिन साक्षात्कार और वेतन का भुगतान पहले कर दिया गया।

असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात डाॅ. अमित लार्किन ने 20 जुलाई 2007 को एग्रीफॉरेस्ट्री विभाग के लिए आवेदन किया था, लेकिन साक्षात्कार छह जुलाई 2007 को ही आयोजित किया जा चुका था और तीन दिन बाद यानी नौ जुलाई 2007 से ही वेतन भुगतान भी किया गया। वहीं दूसरी ओर कुछ पद ऐसे भी रहे, जिन पर आवेदन के महीनों ही नहीं, एक साल बाद साक्षात्कार लिया गया। इसके बाद चयन भी कर लिया गया।  खास बात यह कि शासन के आदेश पर हुए विशेष ऑडिट के दौरान जब जांच करने वाली संस्था की ओर से पूछा गया तो प्रबंधन की ओर से कोई कारण नहीं बताया जा सका। न ही नियुक्ति पत्रावलियों में इसका उल्लेख करने से संबंधित कोई दस्तावेज मिला। एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तैनात डॉ. सुरेश बाबू गुटाला इन्हीं में से एक रहे। इन्होंने आवेदन तो आठ अप्रैल 2003 को किया लेकिन इनका साक्षात्कार लगभग 11 महीनों बाद 23 मार्च 2004 को लिया गया।

इसी तरह असिस्टेंट प्रोफेसर पर पर नियुक्त डॉ. अभिलाषा अमिता लाल की आवेदन पत्रावलियों की जांच में पाया गया कि उन्होंने आवेदन 17 जनवरी 2002 को किया। हालांकि इनका साक्षात्कार 24 मार्च 2004 को आयोजित किया गया। यानी आवेदन के बाद साक्षात्कार आयोजित करने में 26 महीने लग गए। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ही तैनात जॉन पी कालिस के मामले में बेहद चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। पत्रावलियों की जांच में पाया गया कि उनका आवेदन 11 नवंबर 2002 को हुआ लेकिन साक्षात्कार लेने में लगभग पांच साल का वक्त लग गया। उनका साक्षात्कार 25 जुलाई 2007 को हुआ।

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