नई दिल्ली, ब्यूरो। जी-20 शिखर सम्मेलन सम्मेलन के शुरू होने से पहले जब दुनिया भर के मीडिया व विशेषज्ञों ने यह लिख रहे थे कि पहली बार जी20 देश कोई साझा घोषणा पत्र जारी नहीं करेंगे, तब भारतीय पक्षकार सभी देशों के प्रतिनिधियों से नये सिरे से बातचीत की शुरुआत कर रहे थे।
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने और आसियान बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समक्षकों से संयुक्त घोषणा पत्र को संभव बनाने के लिए विमर्श कर काफी हद तक जमीन तैयार कर ली थी। लेकिन नई दिल्ली में शेरपा अमिताभ कांत और उनकी टीम के सदस्यों को यह डर सता रहा था कि कहीं अंतिम समय में कोई देश पीछे ना हो जाए।
07 सितंबर और 08 सितंबर को विभिन्न स्तरों पर कई बार वार्ताएं हुई। कुछ देशों के साथ देर रात तक विमर्श चला और उनके हिसाब से प्रस्ताव में बदलाव भी किया गया। अंत में यूक्रेन को लेकर घोषणा-पत्र में जिस भाषा का प्रस्ताव अंत में भारत की तरफ से किया गया, उसको लेकर हर देश तैयार हुए। नतीजा सबके सामने है।
क्या कहना है विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का ?
तुर्की के राष्ट्रपति तैयप्प एर्दोगेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रा, जापान के पीएम फुमियो किशिदा, इटली की पीएम मेलोनी. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अपने अपने प्रेस कांफ्रेंस में संयुक्त घोषणा पत्र पर सहमति बनाने को लेकर भारत की कोशिशों की जम कर तारीफ की है। विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि साझा सहमति बनाने के लिए भारत सरकार के शीर्ष अधिकारी से लेकर शेरपा कार्यालय में काम करने वाले सहयोगी वार्ताकारों तक की भूमिका बड़ी रही।
पीएम मोदी की ‘गारंटी और मैजिक’
पीएम मोदी की ‘गारंटी और मैजिक’ ने बहुत बड़ा अंतर किया। पीएम मोदी के स्तर पर दूसरे देशों के प्रमुखों को दी गई गारंटी के बाद कई देशों का रूख बदला। चीन का रवैया भी सकारात्मक रहा है। कोई भी देश मजबूरी में सहमत नहीं हुआ है बल्कि वह इसलिए भारत के प्रस्ताव व घोषणा पत्र को स्वीकार किया है कि इसे वह सही समझता है और मौजूदा भूराजनीतिक माहौल में यह सबसे बेहतर विकल्प था। संयुक्त घोषणा पत्र में मुख्य तौर 10 बड़े थीम हैं और इसके तहत 37 क्षेत्रों को शामिल किया गया है। सभी देशों ने इनका समर्थन किया है।
भारत ने किस बात का रखा खास ख्याल
भारतीय टीम ने एक एक सदस्य से बात की कि उन्हें किन किन मुद्दों पर समस्या है और फिर उसका समाधान व विकल्प भी इन देशों को दिया गया। भारत ने इस बात का खास ख्याल रखा कि लोकतांत्रिक पद्धति से हर देश की चिंताओं का समाधान हो। बताया जाता है कि आखिरी कुछ दिनों में लगातार कोई न कोई किसी न किसी प्रतिनिधि से बात कर रहा था। दिन और रात का फर्क मिट चुका था।
क्या कहा भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने ?
जी-20 के लिए भारत के शेरपा अमिताभ कांत का कहना है कि, ”साझा घोषणा-पत्र में यूक्रेन जैसे भूराजनीतिक मसले को लेकर सहमति बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण काम था। यह दो सौ घंटे तक लगातार विमर्श, 300 बैठकों के दौर से संभव हो पाया है।” विमर्श किस हद तक चला है इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि भारत की तरफ से सहमति बनाने के लिए कुल 15 मसौदे का प्रस्ताव तैयार किया गया था।वैसे संयुक्त घोषणा पत्र को लेकर यूक्रेन ने नाराजगी दिखाई है लेकिन इस समूह के सभी सदस्य देशों ने बैठक के अंतिम दिन यानी 10 सितंबर को भारत के स्तर पर कदम का स्वागत किया है।