रेलवे अफसर रिश्वतखोरी कांड : अफसर नहीं ‘डकैत’ है केसी जोशी

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  संजय पुरबिया

लखनऊ। पूर्वाेत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक कार्यालय में ठेकों के लिए ही रिश्वत ही नहीं, बल्कि कई तरीकों से अवैध कमाई का खेल चल रहा था। चर्चा है कि जिम्मेदारों ने कबाड़ घोषित की गई एक कार के नाम पर लंबे समय तक तेल और ड्राइवर के भत्ते के नाम पर लिया गया भुगतान भी अफसरों की जेबों में गया। इसकी शिकायत भी हुई है। सीबीआई की टीम ने इससे जुड़ी कई फाइलें भी जब्त कर ली हैं। जांच की आंच में डीएस-8 (निष्प्रयोज्य वाहन के लिए फार्म) के आने से कई और घोटाले का राज सामने आ सकता है।

रेलवे में पहले विभागीय गाड़ियां होती थीं। बाद में सारे विभागों में अनुबंध के तौर पर अधिकारियों को गाड़ियां उपलब्ध कराई गईं। सूत्रों के मुताबिक स्टोर डिपो में एक कबाड़ घोषित हो चुकी कार के नंबर पर तेल और ड्राइवर के वेतन का भुगतान लिया गया है। जिस अधिकारी की शह पर यह खेल चल रहा था वह भी केसी जोशी का खास है। वहीं, रेल महकमे में चर्चा है कि भ्रष्टाचार के खेल में सिर्फ दो अफसरों की लड़ाई ही नहीं, बल्कि इसके पीछे कई और मजबूत ताकतें लगी हुई हैं।

केसी जोशी की एक और बड़े अफसर से अनबन चल रही थी। वहीं, दिल्ली से आई विजिलेंस की टीम में 77 ठेके एक ही फर्म को देने के मामले में भी अफसरों में तनातनी बढ़ गई थी। हालांकि उस अफसर को हटवाने में केसी जोशी कामयाब रहा। लेकि, चर्चा यह भी है कि केसी जोशी पर रिश्वत का आरोप लगाने वाला प्रणव त्रिपाठी हटाए गए अफसर का खास है। उस अफसर ने अपने कार्यकाल में प्रणव की मदद की थी। अब दोनों अफसर और उनके लोग आमने-सामने आ गए हैं। लिहाजा अब कई और काली करतूतों से पर्दा हट सकता है।

रेल महकमे में बातचीत का एक चैट वायरल हुआ है। इसमें लिखा गया है कि सर, पीसीएमएम (प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक) आपके रेलवे बोर्ड विजिलेंस केस के लिए पांच लाख मांग रहे हैं। बोले हैं मैनेज के लिए दो नहीं तो सब गलत, बरबाद कर दूंगा। जवाब में लिखा गया है कि साहब को मैं ढेला भर कुछ नहीं दूंगा। मैंने कोई गलती नहीं की है। साहब मुझसे कुछ गलत करवाना चाहते थे तो मैंने नहीं किया। बट भगवान सब देखता है, जय महाकाल। (बताया जा रहा है कि यह चैट एक रेल अफसर व ठेकेदार का है, लेकिन अमर उजाला इसकी पुष्टि नहीं करता है।

प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक केसी जोशी ने उत्पादन इकाइयों में ही ज्यादातर नौकरी की है। इस ओर लोगों का ध्यान कम जाता है और यहां सीधे ठेकेदार से सेटिंग करना भी आसान है। वैसे भी इस विभाग को रेलवे में मलाई वाला कहा जाता है। चर्चा है कि एक बार इनका ट्रांसफर पश्चिम रेलवे में हो गया। लेकिन आदेश जारी होने के बाद केसी जोशी ने ज्वाइन नहीं किया और एक बड़े अफसर को साधकर पूर्वोत्तर रेलवे में पोस्टिंग करा ली।

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