ब्यूरो
लखनऊ। लोकसभा चुनाव अभी दूर है लेकिन सत्ताधारी भाजपा के कई सांसदों के टिकट पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। इनमें से कुछ तो उम्र के तकाजे से पार्टी के 75 पार वाले फार्मूले की कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे तो कुछ इस आयुसीमा के करीब पहुंचने के कारण अपनी दावेदारी को लेकर सशंकित हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जिनका विवादों में घिरे रहने के कारण पत्ता कटने के आसार हैं।
प्रयागराज की सांसद डा.रीता बहुगुणा जोशी का टिकट भी पार्टी की ओर से निर्धारित किये गए उम्र वाले फार्मूले के फेर में फंसना तय है। वैसे कई और भाजपा सांसद अगले लोकसभा चुनाव के टिकट वितरण तक 75 वर्ष की आयु सीमा के करीब पहुंच जाएंगे। इनमें डुमरियागंज के सांसद जगदम्बिका पाल, फिरोजाबाद के सांसद चंद्रसेन जादौन, मेरठ के सांसद राजेन्द्र अग्रवाल शामिल हैं।
देखना यह भी होगा कि टिकट बांटते समय पार्टी इनके बारे में क्या निर्णय लेती है। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा कई विधायकों के टिकट काटना चाहती थी, लेकिन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी के सपा में चले जाने के कारण पार्टी ने टिकटों पर कैंची चलाने से परहेज किया था।
अपने ट्वीट और बयानों से गाहे-बगाहे भाजपा के लिए असहज स्थितियां पैदा करने वाले पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी के टिकट पर भी तलवार लटक रही है। यौन शोषण के आरोपों से घिरे रहे कैसरगंज के सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह बेशक अपने राजनीतिक जीवन के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व उनके बारे में क्या निर्णय करता है। हालांकि अब तक कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस नीति को लेकर अपना रुख स्पष्ट रखा है। इस नियम की वजह से उन्हें कई दिग्गज नेताओं को दरकिनार करना पड़ा, वहीं कई नाराज होकर पार्टी छोड़कर भी चले गए, लेकिन बदलाव नहीं किया गया।