ब्यूरो
लखनऊ। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत गत वित्तीय वर्ष कराए गए कार्यों में श्रम-सामग्री के तय मानक (60: 40 अनुपात) को दरकिनार कर की गई वित्तीय अनियमितता के मामले ने तूल पकड़ लिया है।
ग्राम विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए राज्य के सभी संयुक्त विकास आयुक्तों से मनरेगा योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में श्रम-सामग्री अनुपात का आकलन करते हुए विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। ग्राम विकास आयुक्त द्वारा सोमवार को भेजे गए इस कड़े पत्र के आलोक में संयुक्त विकास आयुक्तों ने संबंधित जिलों से विस्तृत रिपोर्ट साफ्ट कापी के साथ-साथ हस्ताक्षरित कापी तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद के पूर्व सदस्य संजय दीक्षित ने इस मामले को उजागर करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच कराने और भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी।दीक्षित की मानें तो भ्रष्ट अधिकारियों, ठेकेदारों और पंचायत प्रतिनिधियों ने गठजोड़ कर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई, जिसकी वजह से लाखों मजदूरों को योजना का लाभ नहीं मिल सका।