संजय पुरबिया
लखनऊ। संसद के भीतर हुई घटना के बाद केंद्रीय गृह सचिव, आईबी, रॉ, दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और स्पेशल सैल के शीर्ष अफसर मौके पर पहुंच गए हैं। घटना की प्रारंभिक जांच शुरू हो गई है। फोरेंसिक टीम भी मौके पर पहुंच चुकी हैं। इस मामले में पुलिस की लापरवाही या इंटेलिजेंस चूक, इस पर रार मच गई है।
सुरक्षा बल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जांच के बाद पता चलेगा कि असल कोताही किसकी है। अगर कोई व्यक्ति कैप्सूल लेकर संसद में घुसा है तो उस दौरान गेटों पर कौन से सुरक्षा कर्मी मौजूद थे। सपा के सांसद राम गोपाल यादव ने एक बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना था कि पहले सदन के बाहर, भीतर और गैलरी के अलावा संसद के चप्पे चप्पे पर सादे कपड़ों में जवान मौजूद रहते थे। उनकी नजर सभी पर रहती थी। अब वह टीम गायब हो गई है। बतौर राम गोपाल यादव, सादे कपड़ों में इंटेलिजेंस के आदमी होते थे। अब वे लोग कहीं दिखाई नहीं पड़ रहे। नए संसद भवन को तो और भी अधिक सुरक्षित बताया गया था।
बता दें कि संसद की सुरक्षा के लिए कई बलों को तैनात किया गया है। हालांकि, मुख्य तौर पर आईबी, ‘पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप’ (पीडीजी) और दिल्ली पुलिस तैनात रहती है। आईटीबीपी व दूसरे बलों के जवान भी आते जाते रहते हैं। पीडीजी में सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान रहते हैं। संसद भवन की ओवरआल सुरक्षा के लिए पीडीजी जिम्मेदार होता है जानकारी के मुताबिक, संसद भवन के प्रवेश मार्गों पर आगुंतकों की जांच के लिए दिल्ली पुलिस तैनात रहती है। स्केनर ड्यूटी पर भी दिल्ली पुलिस के जवान रहते हैं। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि संसद भवन के भीतर सादे कपड़ों वाली टीम को दोबारा से तैनात किया जा सकता है।
हालांकि, एक अधिकारी ने दावा किया है कि इंटेलिजेंस की टीम वहां पर रहती है। संभव है कि अब पास जारी करने के लिए जो नए नियम तैयार किए जा रहे हैं, उसमें आगुंतकों की जांच बढ़ाई जाएगी। ऐसे उपकरण या स्कैनर, लिए जा सकते हैं, जिनके माध्यम से पाउडर, स्मॉग और केमिकल वाले कैप्सूल को डिटेक्ट किया जा सके। ऐसा भी संभव है कि जिस भी सांसद के पत्र के आधार पास जारी किया जाता है, उस पर कोई जिम्मेदारी डाल दी जाए। इसमें सांसद की तरफ से शपथ पत्र जैसा कोई दस्तावेज मांगा जा सकता है।