प्रदेश की जेलों में ‘गायत्री मंत्र’,’महामृत्युंजय मंत्र’ के बाद अब ‘हनुमान चालीसा’ पढ़ रहें कैदी : धर्मवीर प्रजापति

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मंत्रों के जाप का असर भी दिखने लगा है

माहौल कुछ ऐसा हो चला है कि मानों किसी ‘तीरथ धाम’ में ‘भक्तिभाव’ में भक्त डूब गया हो

     

 

 

         

   दिव्यांश श्री.

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की जेलों में सलाखों के पीछे रहने वालों की सोच में बड़े स्तर पर बदलाव दिखने लगा है। सुबह होते ही ‘गायत्री मंत्र’ और ‘महामृत्युंजय मंत्र’ के उच्चारण के साथ यहां सजा काट रहे बंदियों की आवाज गुंजायमान होती है। और तो और अब बंदी ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ भी कर रहे हैं। जेलों का माहौल कुछ ऐसा हो चला है कि मानों किसी ‘तीरथ धाम’ में ‘भक्तिभाव’ में भक्त डूब गया हो। मंत्रों के जाप का असर भी दिखने लगा है। बंदियों को अपने स्तर से किये गये क्राईम का पश्चाताप हो रहा है। उन्हें ये अहसास हो रहा है कि उनके अंदर होने से समाज में रह रहे उनके परिजनों को कितने ताने सुनने पड़ रहे होंगे और इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ वे ही हैं। बंदियों के मनको बदलने का काम कोई और नहीं बल्कि योगी सरकार के कारागार,होमगार्ड राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति हैं।

विभाग की जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही वे लगातार कैदियों को ‘धर्म’ की ओर झुकाव करने और छूटने के बाद एक ‘अच्छा नागरिक’ बनने की सीख देते चले आ रहे हैं और उसी का असर है कि बंदी अब जेलों में झगड़ा-फसाद करने के बजाये एक दोस्त की तरह मिलकर बैरकों में रह रहे हैं। वाकई जेलों में सजायाफ्ता बंदियों के मन-मस्तिक में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये द संडे व्यूज़ परिवार मंत्री धर्मवीर प्रजापति को सैल्यूट करता है…

कारागार,होमगार्ड राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि प्रदेश की जेलों में ‘सकारात्मक सोच की हवा’ बहने लगी है। बंदी सुबह होते ही गायत्री मंत्री और महामृत्युंजय मंत्र गाते हैं। उनकी सोच में बहुत ज्यादा बदलाव आया है। नवरात्रि में जब मैं कानपुर और आगरा की जेलों में गया तेा वहां पर अपने साथ ‘हनुमान चालीसा’ और ‘दुर्गासप्तशति पाठ’ की पुस्तक ले गया था। मैंने बंदियों से कहा कि जिसकी जिस धर्म में आस्था हो,वो धार्मिक पुस्तकें पढ़ सकता है। हनुमान चालीसा पढऩे से आपलोगों में बड़े स्तर पर बैचारिक परिवर्तन आयेगा। किसी पर कोई दबाव नहीं है,जिसे पढऩा है स्वेच्छा से हनुमान चालीसा और दुर्गासप्तशति पाठ पढ़ सकता है। असर यह दिखा कि बंदियों में अब आपस में मारपीट कम हो गया है। खाली वक्त में अधिसंख्य बंदियों का समय धार्मिक पुस्तें पढऩे में बीत रहा है। बताया जाता है कि बंदियों को अब अपने किये पर घोर पश्चाताप हो रहा है और सभी संकल्प ले रहे हैं कि जेल से छूटने के बाद वे बाहर एक बेहतरीन इंसान बनने की पूरी कोशिश करेंगे।

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