शर्मनाक : डीआईजी करे मस्ती,होमगार्ड की जान हुई सस्ती…
एक जवान की मौत,दो गंभीर रुप से घायल,कोटद्वार हॅास्पिटल में जिंदगी की लड़ रहे जंग
डीआईजी आज देहरादून में लेकिन नहीं पहुंचे हॉस्पिटल, अफसरों से कराते रहें फोटो सेशन
शेखर यादव
इटावा। शर्मनाक,शर्मनाक और बेहद शर्मनाक…। लोकसभा चुनाव को मजाक बनाने वाले होमगार्ड विभाग के डीआईजी पर शासन की नजर क्यों नहीं पड़ रही ? वर्दी की शान के वास्ते डयूटी पर अपनी जान गंवाने वाले होमगार्ड को देखने के बजाये डीआईजी संजीव शुक्ला उत्तराखण्ड में गुलदस्ता-गुलदस्ता खेल रहे हैं। उनका एक होमगार्ड ओमकार चुनावी ड्यूटी पर जाते समय पौड़ी में अपनी जान गंवा दिया, दो जवान कृष्ण कुमार व रामकुमार कोटद्वार के दुगड्डा के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं और डीआईजी हरिद्वार और देहरादून में अफसरों के साथ फोटो खिंचवा रहे हैं ? क्या फोटो सेशन चल रहा है क्या ? क्या पहाड़ पर डीआईजी को मस्ती करने के लिये भेजा गया है ? क्या संजीव शुक्ला की नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती कि दुर्घटना में होमगार्ड के मौत की खबर मिलने पर वे सीधे मौके पर पहुंचते ? यदि ऐसा होता तो उनके सभी जीवित जवानों का सीना 36 इंच चौड़ा हो जाता…। जवानों को लगता कि उन्हें सुरक्षा देने, उनकी सेवा के लिये परिवार का कोई मुखिया आ गया है। सोचिए, दुगड्ढ के अस्पताल में घायल जवानों पर क्या बीत रही होगी…। उनकी निगाहें हर पल अस्पताल के दरवाजे की तरफ लगी है शायद डीआईजी साहेब आ जाये और …। उन्हें क्या मालूम ये उनके डीआईजी का नाम संजीव शुक्ला है,जो उत्तरराखंड के स्टेट प्रभारी इसलिये बनाये गये हैं ताकि वे पहाड़ की हसीन वादियों में सूरज हुआ अस्त और पहाड़ हुआ मस्त कहावत को चरितार्थ करके जाये।
खैर,ये तो सोचना होगा शासन के उन अफसरों को जो लोकसभा चुनाव की गंभीरता को हल्के में तौलने वाले डीआईजी संजीव शुक्ला को उत्तराखण्ड क्यों भेजा ? उत्तराखंड गये स्टेट प्रभारी संजीव शुक्ला पहाड़ में पहुंच कर लग गये फ ोटो खिंचाने और दूसरी तरफ बेचारे होमगार्ड मर रहे हैं। सूरज हुआ अस्त, पहाड़ हुआ मस्त की कहावत को चरितार्थ करने, दामाद की तरह आव-भगत चाहते हुये संजीव शुक्ला यहां पर गुलदस्ता लेने, सेवा कराने में इतना मस्त हो गये हैं कि कोटद्वार जाकर घायल होमगार्डों को देखना जरूरी नहीं समझा। उत्तराखंड गये स्टेट प्रभारी संजीव शुक्ला पहाड़ में पहुंच कर लग गये फ़ोटो खिंचाने और दूसरी तरफ बेचारे होमगार्ड मर रहे हैं। ‘दामाद’ की तरह ‘आव-भगत’ चाहते हुये संजीव शुक्ला यहां पर गुलदस्ता लेने, सेवा कराने में इतना मस्त हो गये हैं कि कोटद्वार जाकर घायल होमगार्डों को देखना जरूरी नहीं समझा।
बता दें कि कल पौढ़ी गढ़वाल में चुनावी ड्यूटी पर उत्तराखण्ड जा रहे शाहजहांपुर के 37 जवानों से भरी बस का ब्रेक फेल हो गया जिसकी वजह से शाहजहांपुर के होमगार्ड ओमकार की मृत्यु जिला अस्पताल पौड़ी में हो गयी। गंभीर रुपे से घायल होमगार्ड श्री कृष्ण कुमार और रामकुमार को चिकित्सकों ने यहां से रिफर कर कोटद्वार के सरकारी अस्पताल में करा दिया। किंतु साहब बहादुर हरिद्वार और देहरादून में ‘गुलदस्ता- गुलदस्ता’ खेलते रहें। उन्हें देखने तक नहीं गये।
अधिकारियों ने बताया कि सहारनपुर के गये तीनों स्टॅाफ लंच तैयार कराकर इंतजार करते रहें लेकिन राजा साहब हरिद्वार में मस्त रहें। बेचारे स्टॅाफ 24 घंटा सेवा में लगे हैं, लेकिन उनके कहीं रहने की व्यवस्था तक नहीं की गयी। वे बरामदे में सो रहे हैं और साहब की जी हुजूरी कर रहें कि कहीं काजू, नमकीन, सोडा कम न हो जाये और बड़े साहब नाराज होकर उन्हें सस्पेंड न कर दें…।
सवाल यह है कि विभाग स्टेट प्रभारी केवल मस्ती करने के लिये बनाया गया है? सहारनपुर के तीन कर्मचारियों को वहंा अपनी सेवा में बैठाये रखने के कारण, यदि सहारनपुर के निर्वाचन में कोई समस्या होती है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? फिलहाल, इन बातों को सुनने, समझने वाला कोई नहीं…। संजीव शुक्ला ने शासन में बड़े लोगों को पटाया हुआ है इसलिये उनसे कोई पूछने वाला नहीं। इस समय भी कोटद्वार के सरकारी अस्पताल में होमगार्ड जीवन- मृत्यु से लड़ रहे हैं और स्टेट प्रभारी गुलदस्ता-गुलदस्ता खेल रहे हैं।