हिन्दू और मुसलमान, दोनों के दिलों में ‘राज’ करते हैं राजनाथ

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राजनाथ की ताक़त है ‘अटल की विरासत’

  नवेद शिकोह

लखनऊ। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद रह चुके हैं। जैसा प्यार लखनऊ ने अटल को दिया था वैसा ही प्यार रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह को मिल रहा है। कह सकते हैं कि लखनऊ में राजनाथ ‘अटल की विरासत’ को आगे ले जाते नजर आ रहे हैं। ‘नफ रत’ से ‘नफ रत’ का मुकाबला ‘मानवता’ का नामो-निशान खत्म कर देता है। इस जंग में इंसानियत घायल होती है और इंसानियत पसंद, हर मजहब के मायने बदलकर हर धर्म को बदनाम भी किया जाता है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का संदेश देने वाले सनातन धर्म की आत्मा के विपरीत इस धर्म को डरावना बनाने की साजिशों को बल मिलता है। इन सच्चाईयों की हकीकत जानकर नफ रत की सियासत को मात देने के लिये 25-30 बरस पहले कुछ मुस्लिम नौजवान ‘उदारवादी’ भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी के समर्थन में आगे आये थे। अयोध्या कांड के बाद भड़के नफरत के शोलों को मोहब्बत की शीतलता से शांत करने का सिलसिला शुरु हो गया। स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी भाजपा के नायाब नेता ही नहीं दुनिया के ‘उदारवादी’ नेताओं में उनका नाम शामिल था। उन्हें ये बेशकीमती खूबी लखनऊ की गंगा-जमुनी तहजीब की ‘तरबियत’ से हासिल हुयी थी। लखनऊ की लोकसभा सीट को अटल बिहारी वाजपेयी की ‘विरासत’ कहा जाता है। इस ‘विरासत’ की ‘हिफ़ाज़त’ करने वाले भाजपा के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह हैं। ये भाजपा में उदारवाद के आखिरी चिऱाग हैं। राजनाथ सिंह को ही भाजपा का सबसे बड़ा उदारवादी चेहरा कहा जाता है। यही स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत के वारिस कहे जाते हैं। अटल के संस्कारों पर अटल, राजनाथ इसलिये भी मुस्लिम समाज के दिलों पर राज करते हैं क्योंकि इन्होंने हमेशा मुस्लिम समाज से दिल से दिल का रिश्ता कायम रखा है। कह सकते हैं कि राजनाथ सिंह हिन्दू और मुस्लिम,दोनों समुदाय के दिलों में राज करते हैं।

एक बार फिर राजनाथ सिंह सांसदी का चुनाव कैण्ट विधान सभा सीट से लडऩे जा रहे हैं और इस विधानसभा के सभी वर्ग के लोगों में उत्साह चरम पर है,तभी तो नारा लग रहा है कैण्ट विधान सभा के ‘नाथ’ हैं राजनाथ…। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को गुजरे एक लम्बा वक्त बीत चुका है मगर आज भी लखनऊ शहर उनसे ‘बेहद प्यार’ करता है। अयोध्या कांड में उपजी ‘नफ रतों’ के बाद हिन्दू- मुस्लिम के बीच दीवार को तोड़कर आपसी ‘भाईचारे की अलख’ जलाना उस वक्त देश की सब से अहम् जरूरत थी। अटल जी ने अपने उदारवादी व्यक्तित्व की रौशनी से ना सिर्फ बढ़ती फि रका परस्ती से नफ रत के अंधेरों को भेदा बल्कि उन पर कट्टरवादी छवि का आरोप लगाने वालों का मुंह भी बंद करा दिया था। रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह के बारे में कहा जाता है कि ‘तहजीब’ का शहर लखनऊ, उन्हें भी वैसे ही प्रेम कर रहा है जैसा प्रेम पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी को मिलता था। तत्कालीन लखनऊ सांसद अटल बिहारी वाजपेयी के समर्थक रहे कुछ मुस्लिम खासकर शियों का एक वर्ग आज राजनाथ सिंह के समर्थन में जी जान लगाये हैं। लखनऊ के भाजपाई शियों का कहना है कि अटल जी की तमाम ‘खूबियों की झलक’ राजनाथ जी में नजर आती है। करीब 30 वर्ष पहले पुराने लखनऊ की शिया आबादी में भी अटल बिहारी वाजपेयी की चाहत के नजारे नजर आने की शुरूआत हुई थी…। उनके नाम से ब्लड डोनेशन के कैम्प लगते थे। पुराने लखनऊ में ‘खून’ और ‘फूल’ से अटल को तोलने के ऐतिहासिक कार्यक्रम चर्चा का विषय बना था…। ऐसे कार्यक्रमों के आयोजक तूरज जैदी आज भी बतौर भाजपा कार्यकर्ता सक्रिय हैं। तूरज बताते हैं ‘भाजपा से मुसलमानों को जोडऩे के लिये अटल जी की उदारवादी शख्सियत ने एक सेतु का काम किया था और आज राजनाथ सिंह जी अटल जी की सियासी तरबियत और उनकी विरासत के वारिस के तौर पर बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं’।

रेलवे से रिटायर्ड अधिकारी ए.के.श्रीवास्तव का कहना है कि कैण्ट विधान सभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का,यहां पर हमेशा से भाजपा के प्रत्याशी जीतते रहे हैं। वजह साफ है,यहां पर रहने वाली जनता को विकास कार्य से मतलब है,जिसे भाजपा के प्रत्याशी कराते चले आ रहे हैं। एक तरह से कह सकते हैं कि कैण्ट लोकसभा भाजपा का गढ़ है। वैसे भी राजनाथ सिंह का प्रत्याशी होना बड़ी बात है क्योंकि हमलोगों के दिमाग में है कि इनके आने से यहां पर होने वाले बड़े विकास कार्यों की जानकारी उन तक सीधे पहुंचा सकते हैं।

इसी तरह, हाईकोर्ट के एडवोकेट अरविंद मिश्रा का कहना है कि कैण्ट लोकसभा सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जीत का रिकार्ड तोडऩे का गौरव हासिल किया था। यहां पर प्रत्याशी कोई खड़ा हो,उसमें यहां के मतदाता अटल जी का चेहरा देखकर वोट डालते हैं। जहां तक राजनाथ सिंह की बात है तो उनमें भी हमलोग अटज जी का अक्श देखते हैं इसीलिये यहां पर नारा लगाया जा रहा है कि कैण्ट के ‘नाथ’ राजनाथ…।

बाक्स में लगाना है मुस्लिम समाज में जगह बनाने वाले भाजपा नेता भाजपा और मुस्लिम समाज के बीच दूरियों को कम करने वाले भाजपा नेताओं में अटल बिहारी वाजपेई, सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह अग्रिम पंक्ति में रहे। आज राजनाथ सिंह इस खूबी के अकेले ‘अलमबरदार’ हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेई की विरासत को आगे बढ़ाते हुये मुस्लिम समाज के बीच अपने मधुर संबंधों को क़ायम रखने की हर संभल कोशिश करते हैं। उनकी ये जि़द है कि वो कम से कम अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ में मुस्लिम समाज का विश्वास जीत कर एक मिसाल क़ायम रखें। इस मिशन के तहत पहले वो मुस्लिम धर्मगुरुओं और भाजपा से जुड़े मुस्लिम कार्यकर्ताओं, ओहदेदारों से राब्ता बनाये रखते थे। इस बार उन्होंने इस सिलसिले का विस्तार किया है। जो ग़ैर सियासी इदारे, संस्थाएं, अक़लियत की कमजोर, गरीब और जरूरतमंद आवाम को रोजगार में आगे बढ़ा रही हैं। उनके स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये जो लोग काम कर रहे हैं, ऐसे लोगों को राजनाथ सिंह प्रोत्साहित कर रहे हैं।

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