राजस्व परिषद की 83 पन्नों की जांच रिपोर्ट में भी फंस रहे अभिषेक प्रकाश
मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गुरुवार को इन्वेस्ट यूपी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया था। मामले में कमीशन मांगने के आरोप में लखनऊ पुलिस ने निकान्त जैन को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ भी भितरखाने छानबीन में जुटी है।
निकांंत जैन के पिता स्वर्गीय सुधीर कुमार जैन एक बड़े ठेकेदार थे। वर्तमान में निकांत के बड़े भाई सुकांत जैन रियल एस्टेट समेत आधा दर्जन से अधिक कंपनियों का संचालन करते हैं। कमीशनखोरी के मामले में निकांत की भूमिका सामने आने के बाद उनकी कंपनियां की छानबीन भी हो रही है। निकांत के बैंक खातों को भी खंगाला जा रहा है। निकांंत की कॉल डिटेल के आधार पर उसके करीबी रहे अधिकारियों को भी चिन्हित करने का प्रयास किया जा रहा है। पूरे मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश के अलावा कुछ अन्य अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
ध्यान रहे, मामले में एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता ने इन्वेस्ट यूपी में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। आरोप था कि मूल्यांकन समिति की बैठक में उनके आवेदन स्वीकृत करने के बाद आनाकानी की गई। इन्वेस्ट यूपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने निकान्त जैन का नंबर दिया था, जिससे बात करने पर पांच प्रतिशत कमीशन देने की मांग की गई। निकांत ने दावा किया था कि बिना कमीशन दिए उनका आवेदन स्वीकार नहीं होगा। विश्वजीत दत्ता की शिकायत पर गुरुवार को लखनऊ के गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर निकान्त को गिरफ्तार कर लिया गया था।
निलंबित आइएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें अन्य मामलों को लेकर चल रहीं जांच में भी बढ़ती जा रही हैं। लखनऊ डिफेंस कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण में धांधली के मामले में भी उन्हें जवाब देना होगा। तत्कालीन डीएम लखनऊ अभिषेक प्रकाश इस मामले में भी संगीन आरोपों से घिरे रहे हैं। राजस्व परिषद की 83 पन्ने की जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन उनसे जवाब तलब करेगा।
राजस्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. रजनीश दुबे द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में क्रय समिति के अध्यक्ष तत्कालीन डीएम व सदस्य सचिव तत्कालीन तहसीलदार सरोजनीनगर को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी तौर पर दर निर्धारण व भूमि के क्रय करने की कार्रवाई की गई, जिससे इस प्रकरण में अनियमित भुगतान हुआ और शासकीय धन की हानि हुई। डॉ. रजनीश दुबे ने अगस्त 2024 में सेवानिवृत्त होने से पूर्व यह रिपोर्ट सौंपी थी पर अब तक इस मामले में कार्रवाई नहीं हो सकी थी।