होमगार्ड विभाग : आखिर किसकी शह पर सरकार, होमगार्ड  मंत्री  की साख खराब कर रहे हैं कमांडेंट ?

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होमगार्ड विभाग : क्या तीनों कमांडेंट सरकारी दामाद बन रहे हैं ?

11 में से 7 कमांडेंट ने संभाली कुर्सी,आखिर किसकी शह पर सरकार की साख खराब कर रहे हैं कमांडेंट

कमांडेंटों ने लगायी फर्जी मेडिकल रिपोर्ट,क्या होगी मेडिकल रिपोर्ट की जांच ?

तबीयत है खराब घूम रहे हैं लखनऊ में…खा रहे बिरयानी और लगा रहे हैं सचिवालय की परिक्रमा

   संजय पुरबिया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ईमानदार छवि के होमगार्ड राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार धर्मवीर प्रजापति की छवि को कुछ कमांडेंट अपनी घटिया राजनीति से खराब करने पर उतर आये हैं। इनके बुलंद हौसले का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं किशासन ने 30 जून को 11 जिला कमांडेंट का तबादला किया,जिसमें से तीन को छोड़कर बाकी सभी ने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है। बताया जाता है कि तीनों कमांडेंट अपना मेडिकल लगा दिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जब डॉक्टरों ने तो इन्हें आराम करने की सलाह दी है, तो लखनऊ में क्या कर रहे हैं ? इसकी पुष्टि लखनऊ में चप्पे-चप्पे पर लगे सीसी टीवी के फुटेज से हो सकती है, क्योंकि तीनों विधानसभा की परिक्रमा लगाते देखे जा सकते हैं ? खास बात यह है कि जब शासन ने यानि मुख्यमंत्री ने ट्रांसफर सीजन में तबादला कर दिया तो इन लोगों ने नये जिले में कार्यभार क्यों नहीं किया ? क्या ये लोग मुख्यमंत्री के साथ-साथ विभागीय मंत्री धर्मवीर प्रजापति की साख खराब करने पर आमादा हैं ? आखिर इन सबके पीछे किसका दिमाग चल रहा है जो कर्मचारियों में लोकप्रिय हो रहे मंत्री की इमेज को खराब करने का कुचक्र रच रहा है। सवाल यह भी है कि क्या होमगार्ड मंत्री ने तीनों कमांडेंट का तबादला उत्तर प्रदेश से बाहर किसी कंदरे में कर दिया है,जो ये लोग वहां ना जाकर मनचाहा जिला में तैनाती चाह रहे हैं? भईया,ये योगी बाबा की सरकार है,यदि यही सोच है तो नौकरी छोड़कर घर बैठिये क्योंकि यहां वही होगा जो मुख्मयंत्री और मंत्री चाहेंगे…

होमगार्ड विभाग के लिये एक बात सटिक बैठती है कि यहां पर ‘खाकी’ का ‘सम्मान’ और ‘सोच‘ रखने वालों की संख्या कम और ‘खादी’ की ‘सोच’ रखकर नौकरी करने वालों की संख्या बहुतायत है। तभी तो मुख्यमंत्री के आदेश को ताख पर रखकर अपनी हुकुमत चलाने वाले कमांडेंट नौकरी कर रहे हैं। बता दें कि 30 जून को तबादला होने वाले कमांडेंट क्रमश: धीरेन्द्र नाथ सिंह, तेज प्रकाश, विजय कुमार सिंह, शैलेन्द्र प्रताप सिंह,राघवेन्द्र शुक्ल,चंदन सिंह,विनोद कुमार द्विवेदी, विनोद कुमार शाक्य, दिनेश ढिंगरा, मनोज कुमार एवं मनीष दूबे हैं।

इनमें से कन्नौज में तैनात कमांडेंट चंदन सिंह का तबादला गाजीपुर, अमरोहा में तैनात मनीष दूबे का तबादला सोनभद्र,मनोज कुमार शुक्ला का उन्नाव से अंबेडकरनगर तबादला किया गया है लेकिन इनलोगों ने नई तैनाती स्थल पर जाना मुनासिब नहीं समझा, लेकिन इनलोगों ने नई तैनाती स्थल पर जाना मुनासिब नहीं समझा। काहें भईया,मंत्री जी ने जिला ही तो दिया है कहीं कंदरा में तो फेंक नहीं दिया है,जो आपलोग इनसे खिसिया गये हो…। सत्ता के गलियारों से लेकर विभाग में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि तीनों कमांडेंट एक सोची-समझी रणनीति के तहत नई तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं। इनके पीछे किसी अधिकारी को तेज दिमाग काम कर रहा है,जो दबाव बनाने की राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जा रहा है। इनलोगों को इस बात से कोई वास्ता नहीं की उक्त आदेश मुख्यमंत्री का है…। इन्हें इससे भी मतलब नहीं कि ऐसा करने से विभाग के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में विभागीय मंत्री धर्मवीर प्रजापति की साख खराब हो सकती है…।

बात जो भी हो, मामला गंभीर है क्योंकि इससे पूर्व भी जितने अधिकारियों व कर्मचारियों का तबादला शासन स्तर पर किया गया,सभी तबादला नीति का सम्मान करते हुये नये जिलों में जाकर कार्यभार ग्रहण किया और वहां पर मंत्री के नीति के अनुसार काम कर विभाग का नाम रौशन करने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि होमागार्ड विभाग में धर्मवीर प्रजापति पहले ऐसे मंत्री हैं,जिन्होंने अधिकारियों के ट्रांसफर से अपना हाथ खिंच लिया था। बकौल मंत्री ट्रांसफर कर अपना हांथ गंदा नहीं करना चाहता हूं…। वैसे भी अधिसंख्य माननीय और नौकरशाह ट्रांसफर सीजन का इंतजार करते हैं क्योंकि उनके लिये ये समय सहालग का होता है…। क्योंकि एक सीजन में करोड़पति बनने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलता लेकिन इससे इतर धर्मवीर प्रजापति ने हाथ खिंच कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी वे ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर ही चलेंगे। आखिरी सवाल यह है कि आखिर तीनों कमांडेंट चंदन सिंह,मनीष दूबे और मनोज कुमार शुक्ला सरकार और मंत्री की इमेज किसके और क्यों खराब करने पर उतारु हैं ?

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