उद्यान विभाग के निदेशक ने 104 अंगूठा छाप अभ्यथियों को कम्प्यूटर आपरेटर बनाकर करोड़ों किया अंदर

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संजय पुरबिया

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच है कि यूपी के ‘बेरोजगार’ रोजगार के अभाव में दूसरे राज्यों का पलायन ना करें। इसके लिये ही उन्होंने सभी सरकारी विभागों में संविदा पर रोजगार देने का निर्देश दिया लेकिन क्या पढ़े-लिखे नौजवानों को रोजगार मिल रहा है ? ये सवाल इसलिये कर रहा हूं क्योंकि शासन में बैठे अलंबरदार अधिकारियों के संरक्षण में मुख्यालय पर बैठे अधिकारी अंगूठा छाप नौजवानों को दे रहे हैं रोजगार और पढ़े-लिखे नौजवान बेराजगारी का दंश झेल रहे हैं। उद्यान विभाग के निदेशक आर के तोमर ने ऐसे अनपढ़ों को कम्प्यूटर आपरेटर बना दिया जिन्होंने कभी जिंदगी में कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर ऊंगलियां तक नहीं चलायी…। जिन अभ्यर्थियों को ‘राम’ लिखना नहीं आया उसे भी निदेशक साहेब फस्र्ट क्लास का नंबर देकर पास कर कम्प्यूटर आपरेटर बना दिये। दरअसल,प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना( पी.एम.के.एस.वाई.)योजना के तहत आउटसोर्सिंग के माध्यम से उद्यान विभाग में 93 कम्प्यूटर ऑपरेटर क्रमश: 75 जनपद व 18 मंडल में एक पद निकाली गयी। इसी तरह, निदेशालय स्तर पर 22 कम्प्यूटर ऑपरेटर व 20 अन्य संवर्ग के पदों पर भर्ती निकाली गयी। यानि कुल 135 पदों की भर्ती निकाली गयी लेकिन निदेशक ने ऐसा फर्जीवाड़ा किया कि पढ़े-लिखे बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला लेकिन अनपढ़ बन गये नौकरी वाले…।

 

नियमानुसार निदेशक को संविदा भर्ती तथा उनके पारिश्रमिक,मानदेय के भुगतान का प्रस्ताव प्रशासकीय विभाग के माध्यम से वित्त विभाग भेजकर अनुमोदन लेना चाहिये था,परन्तु वित्त विभाग से बिना अनुमोदन प्राप्त किये कार्रवाई कर दी गयी। सरकारी नियमावली की बात करें तो निदेशक श्री तोमर को कम्प्यूटर ऑपरेटर के लिये दो टेण्डर निकालना चाहिये लेकिन उन्होंने चार टेेण्डर निकाले…। यहीं से निदेशक द्वारा फ्राड का खेल शुरु हो गया। उन्होंने निकाली गयी भर्ती के 135 पदों को दो भाग में बांट दिया। कम्प्यूटर ऑपरेटर के 93 पद की भर्ती अलग निकाली और निदेशालय के लिये शेष बचे 42 पदों की भर्ती को बढ़ाकर 75 पद कर दिया। इसके लिये शासन से अनुमति लेना भी मुनासिब नहीं समझा और डंके की चोट पर विभिन्न संवर्गों में 33 पद बढ़ा दिया।

इतना ही नहीं,बीएलएफ के पदों को भी दो भाग में बांटते हुये 66 एवं 84 कर दिया। जबकि शासन ने एक ही निविदा निकालने की अनुमति दी थी। कम्प्यूटर अॅापरेटर संवर्ग के लिये कुल चयनित सेवा प्रदाता एजेंसी ने सेवायोजन पोर्टल पर वैकेंसी प्रकाशित की। जिसमें कुल 279 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था परन्तु इनमें निदेशक एवं एजेंसी के वो अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सकें जिनसे धनराशि की वसूली कर ली गयी थी। इसलिये सेवा प्रदाता एजेंसी ने बेबसाईट हैक होने का बहाना बनाकर निदेशक से मिलीभगत कर आवेदन को निरस्त करा दिया और भर्ती हेतु अॅाफ लाईन प्रक्रिया का अनुमोदन प्राप्त कर लिया। जबकि नियमों में ऑफ लाईन आवेदन प्रदान करने का कोई प्राविधान नहीं है। इस प्रकार शासनदेशों के विपरित 104 अभ्यर्थियों का ऑफ लाईन आवेदन प्राप्त कर इंटरव्यू चार सदस्यीय कमेटी से कराया गया।

इंटरव्यू के अगले दिन चयनित अभ्यर्थियों की ब्राड सीट गायब करा दी गयीउसके बाद निदेशक ने अपने स्तर से इंटरव्यू में अपात्र अभ्यर्थियों का चयन कर लिया। 104 अभ्यर्थियों के सापेक्ष 93 का चयन किया गया है जिसमें अधिकांश अभ्यर्थी फेल हैं। बस, निदेशक तोमर से यहीं पर बड़ी चूक हो गयी, क्योंकि चार सदस्यीय कमेटी द्वारा चयनित अभ्यर्थियों की ब्राड सीट,जिन पर चारों के हस्ताक्षर थे, उसकी एक-एक कॉपी सभी सदस्यों ने पहले ही अपने पास रख ली थी। सभी को अहसास था कि निदेशक श्री तोमर घटिया खेल जरूर खेलेंगे। खैर, निदेशक तोमर ने जो सूची जारी की उसमें कम्प्यूटर ऑपरेटर के 93 पदों में से 58 ऐसे अभ्यर्थी हैं जो फेल थे, उन्हें पास कर दिया है और इस खेल में निदेशक का साथ शासन में बैठे एक अधिकारी दे रहे हैं…। द संडे व्यूज़ लोक भवन में बैैठकर महाभ्रष्ट निदेशक आर. के. तोमर का साथ देने वाले नौकरशाहों को ‘खुला चैलेंज’ कर रहा है कि कम्प्यूटर ऑपरेटर में चयन होने वाले 104 अभ्यर्थियों में 58 ऐसे अभ्यर्थी हैं,जो भगवान ‘राम’ का नाम भी कम्प्यूटर पर नहीं लिख सकते।

मैं ‘खुला चैलेंज’ इसलिये कर रहा हूं क्योंकि ‘द संडे व्यूज़’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों पर चलने में भरोसा करता है। यदि आपलोग पीएम और सीएम के सपनों को साकार करना चाहते हैं तो सही मायने में पढ़े-लिखे अभ्यर्थियों का हक मारने वाले निदेशक को बर्खास्त कर पूरी भर्ती को निरस्त करें। क्योंकि जितने अभ्यर्थियों ने 20 नंबर में से 1,3,5, 18 पाया है, सभी फेल हैं…। हालांकि इसकी शिकायत अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अजीत प्रताप सिंह संदीप ने उद्यान विभाग के मंत्री एवं प्रमुख सचिव को साक्ष्यों के साथ की है। अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि यदि इंसाफ नहीं मिला तो मुख्यमंत्री के पास मामले को ले जाऊंगा।

माह जून 2021 में क्षत्रिय महासभा के उपाध्यक्ष अजीत प्रताप सिंह ने उद्यान मंत्री दिनेश सिंह को गोपनीय पत्र लिखकर निदेशक आर. के. तोमर के स्तर से की जा रही भ्रष्टाचार का खुलासा किया है।

उन्होंने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक श्री तोमर को शासन ने 93 कम्प्यूटर ऑपरेटर (75 जनपद, 18 मंडल पर 1) निदेशालय स्तर पर 1,सीनियर कन्सल्टेंट 1,1 वरिष्ठï प्रोग्रामर,2 कम्प्यूटर प्रोग्रामर,1 सहायक कम्प्यूटर प्रोग्रामर, 22 कम्प्यूटर आपरेटर,1 तकनीकी सहायक,5 कार्यालय सहायक एवं 4 सुरक्षा गार्ड की भर्ती करने का निर्देश दिया था। इस प्रकार इस निविदा में जनपद व मंडल में 93 कम्प्यूटर अॅापरेटर तथा निदेशालय स्तर पर विभिन्न वर्गों में 42 संविदाकर्मी यानि कुल 135 संविदाकर्मी का अनुमोदन प्राप्त किया था परन्तु प्रभारी निदेशक ने शासन से प्राप्त अनुमोदन के विपरित जनपद, मंडल के लिये कम्प्यूटर अॅापरेटर की भर्ती के लिये 24 सितंबर 2021 को बिड संख्या जैम- 2021-बी-1549854 प्रकाशित करायी जिसमें कुछ अनियमितताओं के बाद उसे अंतिम रूप दे दिया गया।

पत्र में निदेशक श्री तोमर पर आरोप लगाया गया है कि जिस वक्त 93 कम्प्यूटर ऑपरेटर की भर्ती निकाली गयी,नियम की सभी शर्तें सही थी। कुछ दिनों बाद से निदेशक श्री तोमर ने शातिर चाल चलना शुरू कर दिया। वेबसाईट पर 18 नवंबर 2021 को भर्ती निकाली गयी और फार्म भरने की अंतिम तिथि 20 नवंबर 2021 दी गयी। यानि, अभ्यर्थियों को फार्म के आवेदन के लिये सिर्फ दो दिन का समय दिया गया जबकि कम से कम एक सप्ताह का समय दिया जाता है। इसके अलावा किसी भी सेवा प्रदाता एजेंसी को टेण्डर कम से कम दो वर्ष के लिये दिया जाता है लेकिन निदेशक ने यहां पर एक वर्ष का ही अनुबंध किया है।

अब देखिये,कम समय होने पर जिन अभ्यर्थियों को जानकारी हुयी किसी तरह आवेदन किया। कुल 279 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। निदेशक श्री तोमर ने इंटरव्यू के लिये चार लोगों की कमेटी बनायी जिसमें मुकेश कुमार-लैण्ड स्केप आर्किटेक्ट,आहरण संविरण अधिकारी,निदेशालय,जमाल अहमद उस्मानी-सहायक लेखाधिकारी निदेशालय,वरिष्ठï कम्प्यूटर प्रोग्रामर,डाटाबेस प्रोग्रामर-कम एडमिनिस्ट्रेटर (संविदाकर्मी) निदेशालय एवं मेसर्स फ्रंटलाइन सिक्योरिटी एण्ड मैनपावर सर्विसेज 102 प्रथम तल,अनंता टॉवर,सेक्टर एच,जानकीपुरम,लखनऊ शामिल थे। टीम ने इंटरव्यू लिया और कमेटी के सभी सदस्यों ने अलग-अलग नंबर की सीट बनायी के बाद उस पर हस्ताक्षर किया। कमेटी के चारों सदस्यों ने अपनी-अपनी आंसर सीट निदेशक के पास जमा करा दी।

घाघ निदेशक को लगा कि अब काम हो गया है फिर उसने अगले दिन सेवा प्रदाता एजेंसी मेसर्स फ्रंटलाइन सिक्योरिटी एण्ड मैनपावर सर्विसेज 102 प्रथम तल,अनंता टॉवर, सेक्टर एच, जानकीपुरम,लखनऊ व मुख्यालय पर तैनात भ्रष्टï अधिकारियों ने वेबसाईट को हैक बताकर निरस्त करा दिया। निदेशक को ये नहीं मालूम था कि कमेटी के सदस्यों को उसकी घटिया सोच की भनक लग गयी थी इसलिये उनलोगों ने ओरिजनल आंसर सीट की एक कॉपी अपने पास सुरक्षित रख ली थी। खैर,निदेशक ने वेबसाईट हैक बताने के बाद गुपचुप तरीके से 104 ऐसे अभ्यर्थियों की आंसर सीट बना दी जिनलोगों ने उसे मुंह मांगी रकम पहुंचा दी थी। कमेटी के सदस्यों द्वारा लिये गये साक्षात्कार की बात करें तो 104 में 59 अभ्यर्थी फेल हैं। देखा जाये तो एक पद पर कम से कम तीन लोगों का आवेदन आना अनिवार्य है लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं माना गया।

खैर, सफल अभ्यर्थियों को कम्प्यूटर ऑपरेटर के लिये परीक्षा में 20 अंक आना अनिवार्य था लेकिन ऐसे 59 अभ्यर्थी हैं जिन्हें एक,तीन,शून्य या 12 नंबर ही मिले हैं। कई तो ऐसे हैं जिन्होंने जिंदगी में पहली बार कम्प्यूटर के की बोर्ड को छूआ होगा…लेकिन साहेब बन गये हैं कम्प्यूटर अॅापरेटर…। यदि किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करा ली जाये तो मालूम चलेगा कि किस तरह से निदेशक ने बेरोजगार नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इस तरह 104 अंगूठा छाप नौजवानों को कम्प्यूटर अॅापरेटर बनाकर महाभ्रष्टï निदेशक तोमर एक ही बार में बन गया करोड़पति…।

इसी तरह, बीएलएफ की भर्ती में भी जमकर मनमानी किया। पहली निविदा में जनपद के लिये 150 बीएलएफ की भर्ती के लिये जैम पोर्टल पर निविदा प्रकाशित किये जाने का प्रस्ताव दिया गया,जिसे शासन द्वारा एक निविदा के माध्यम से चयन करने का अनुमोदन प्रदान किया गया था। लेकिन निदेशक श्री तोमर ने 150 बीएलएफ के शासन के अनुमोदन के विपरित जैम पोर्टल पर बिड नंबर जीएम-2021-बी-1708108 पर 26 नवंबर 2021 से 84 बीएलएफ तथा बिड संख्या जीएम-2021-बी-1708273 26 नवंबर 2021 से 66 बीएलएफ की निविदा प्रकाशित की। इस प्रकार शासन से 150 पदों की एक निविदा के लिये प्राप्त अनुमोदन का विचलन कर निविदा को दो भागों में अपने निजी स्वार्थ के लिये बांट दिया।

निदेशक श्री तोमर के फ्राड की राह यहीं तक नहीं रूकी। उन्होंने निदेशालय स्तर पर विभिन्न संवर्गों में 42 संविदाकर्मी के द्वितीय निविदा के माध्यम से रखने का जो अनुमोदन शासन से मिला था,उसे 22 नवंबर 2021 को बिड संख्या जैम-2021-20-1694598 द्वारा निकाली गयी जिसमें 42 पदों को मनमाने ढंग से बढ़ाकर 75 पद कर दिये गये। खास बात यह है कि इसमें निदेशक ने 33 पदों को बिना शासन से अनुमति लिये अपनी मर्जी से बढ़ा दिया था। बताया जाता है कि पहले से ही 42 पदों पर संविदाकर्मी काम कर रहे हैं,जिन्हें जैम पोर्टल के शासनादेश के अनुसार निकाला या हटाया नहीं जा सकता है। इससे साफ जाहिर है कि 33 पदों की भर्ती अपने मन से करने के पीछे निदेशक श्री तोमर की क्या मंशा रही होगी।

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