आखिर ‘अंसल आंगन योजना समिति’ के पदाधिकारियों ने तीन वर्ष मेें क्यों नहीं खोला ‘समिति का एकाउंट’ ?

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आखिर अंसल आंगन योजना समिति के पदाधिकारियों ने तीन वर्ष मेें क्यों नहीं खोला समिति का एकाउंट ?

28 अगस्त 2019 में गठित हुयी समिति,कितना फंड आया,कहां खर्च हुआ-जवाब दें अध्यक्ष ?

गुस्से में सेक्टर एम-1 के आवंटी, दुबारा चुनाव कर ईमानदार पदाधिकारी बनाने की कर रहे मांग

पार्षद का चुनाव सिर पर है, चुनाव में सभी अपनी ताकत का अहसास करायेंगे

जब समिति बने तीन वर्ष हो गये तो दुबारा चुनाव कराने पर क्यों चुप्पी साधे बैठे हैं अध्यक्ष ?

ब्यूरो
लखनऊ। आशियाना स्थित सेक्टर एम-1 आये दिन विवादों में रहा। इस कालोनी के विकास के लिये 28 अगस्त 2019 को मोहल्ल वालों ने एक ‘समिति अंसन आंगन योजना’ गठित किया। सभी की मंशा थी कि समिति बनने के बाद यहां पर बिजली,पानी,सीवर सहित अन्य असुविधाओं को दूर किया जायेगा लेकिन हुआ उलट…। अंसल पर दबाव बनाकर बिजली,सड़क,नाली निर्माण का काम तो होने लगा लेकिन उसी में समिति के तथाकथित पदाधिकारियों ने अपनी दलाली की दुकान सजा ली दलाली की दुकान तो ‘द संडे व्यूज़’ ने बंद करा दी लेकिन बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर तीन वर्ष से अधिक समय हो जाने के बाद भी दुबारा चुनाव क्यों नहीं कराया जा रहा है ? इतना लंबा समय हो गया आखिर समिति के पास कितना फंड आया और उसे कहां खर्च किया गया,इसका ब्यौरा भी सार्वजनिक नहीं किया गया ?

 

 

 

आखिर समिति अध्यक्ष ने समिति का ज्वाइंट एकाउंट क्यों नहीं खोला ? ज्वाइंट एकाउंट अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष का मिलकर खुलता है,लेकिन तीन वर्ष गुजर गया कोई एकाउंट नहीं खोला गया। इससे साबित होता है कि समिति बनने के दिन से ही इसके कुछ पदाधिकारियों की नियत में खोट रही होगी। खैर,दीवाली में बिजली की सुविधा ना मिल पाने की वजह से मोहल्ले वाले गुस्से में हैं। वैसे भी पार्षद का चुनाव सिर पर है। सभी का कहना है कि चुनाव में हमलोग अपना रंग दिखायेंगे क्योंकि दिपावली में बिन बिजली रह रहे एवं अर्ध निर्मित मकान वाले आवंटी भी मतदाता हैं और स्वाभाविक है कि चुनाव में सभी अपनी ताकत का अहसास करायेंगे।

आवंटियों का सवाल है कि तीन वर्ष बीत जाने के बाद समिति का दुबारा चुनाव होना चाहिये लेकिन ऐसा नहीं किया गया। समिति के कुछ पदाधिकारियों की भ्रष्टाचार की कहानियां सुनने के बाद सभी आक्रोशित हैं। तीन वर्ष के दौरान समिति से जुड़े आवंटियों ने चंदा के नाम पर लगभग 36-37 हजार रुपये दिये,उसका हिसाब-किताब कौन देगा? जब समिति का एकाउंट नहीं खुला है तो सारे पैसे किसके घर में खर्च हो गये? नियमत: चुनाव बाद जब समिति का गठन होता है तो बैंक में खाता खोला जाता है लेकिन अध्यक्ष महोदय विकास के कार्यों को रोकने में इतना व्यस्त हैं कि उन्हें फुर्सत ही नहीं की खाता खुलवाये।
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