डीजी को ‘गुमराह’ कर मुख्यालय के डीआईजी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘विवादित बयान’ देने वाले बीओ का ट्रांसफर लखनऊ कराया

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होमगार्ड विभाग में प्रधानमंत्री के खिलाफ विवादित बयान देने वाले बीओ का लखनऊ ट्रांसफर, डीजी ने लगायी रोक

गाजीपुर में तैनात बीओ अंजन भगत के खिलाफ बेरोजगारों से भर्ती के नाम पर लाखों रुपये ऐंठने की जांच कर रहे हैं डीआईजी

सवाल : अंजन भगत के खिलाफ जांच पर अभी तक क्यों नहीं हुयी कार्रवाई?
सवाल : डीआईजी ने डीजी को क्यों नहीं बताया कि अंजन भगत के खिलाफ भर्ती के नाम पर लाखों रुपये ऐंठने की कर रहें जांच
सवाल: आचार संहिता लागू होने पर प्रधानमंत्री व भाजपा के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने वालों की सजा सिर्फ कठोर चेतावनी होती है?
सवाल : चुनाव के समय सरकारी कर्मचारी यदि विवादित बयान देता है तो छह माह की सजा, दो हजार रुपये आर्थिक दण्ड होता है। अंजन पर क्यों नहीं अमल किया गया?


संजय पुरबिया

लखनऊहोमगार्ड विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मवीर प्रजापति और डीजी बी.के.मौर्या की सोच है कि इस विभाग में भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होइसी कड़ी में इस बार तबादला नीति में फूंक-फूंक कर काम कर रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ दिनों से बीओ सुरेश सिंह द्वारा फर्जी मस्टर रोल बनाकर लाखों रुपये की चपत लगाने से विभाग शर्मशार हो चुका है। सुरेश सिंह वही ब्लॉक आर्गनाइजर है जिसने चीफ सेक्रे्रटरी के आवास पर फर्जी होमगार्डों की तैनाती दिखाकर तीन साल से लाखों रुपये का फर्जी मस्टर रोल बनाता रहा। यही वजह है कि डी.जी. पूरी तरह से चौकन्न होकर ट्रांसफर लिस्ट बना रहे हैं लेकिन मुख्यालय पर तैनात तथाकथित अधिकारी उन्हें गुमराह कर ब्लॉक आर्गनाइजर अंजन भगत का ट्रांसफर गाजीपुर से लखनऊ कराने में कामयाब हो गये । ये वही अंजन भगत है जिसने विधान सभा चुनाव के समय फेसबुक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिये अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। जब चुनाव आयोग ने मामले को गंभीरता से लिया तो रामनगर ट्रेनिंग सेंटर के मंडलीय कमांडेंट जी.सी.कटियार ने उसके खिलाफ सिर्फ कठोर चेतावनी देकर बचा लिया। नियमत: चुनाव आयोग का उल्लंघन करने वाले सरकारी कर्मचारी को छह माह की सजा और दो हजार रुपये का आर्थिक दण्ड देने का प्राविधान है। बहरहाल,इस बात की जानकारी जब डीजी बी.के.मौर्या को हुयी तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से उसका ट्रांसफर रोक दिया है। बता दें कि अंजन भगत पर होमगार्ड विभाग में नौकरी लगाने के नाम पर कई बेरोजगारों से लाखों रुपये ऐंठने की जांच डीआईजी विवेक सिंह कर रहे हैं।


होमगार्ड विभाग में इस समय कई ऐसे कारनामे हुये जिससे विभाग की साख खराब हो रही है। मुख्यालय के सीटीआई पर तैनात प्लाटून कमंाडर राधेश बाबू मिश्रा और गाजियाबाद के कमांडेंट मनीष दूबे के प्रकरण के बाद चीफ सेके्रटरी के यहां फर्जी होमगार्डों की तैनाती ने मानों भूचाल ला दिया हो। विभाग की खराब हो रही छवि को सुधारने के लिये मंत्री और डीजी युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं लेकिन मुख्यालय पर तैनात तथाकथित अधिकारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। 22 जून को 8 ब्लॉक आर्गनाइजर का जनहित के आधार पर तबादला किया गया।डीजी ने अधिकारियों को स्पष्ट तौर पर कहा था कि लखनऊ में लंबे समय से जमे एवं विवादित कर्मचारियों को तत्काल दूसरे जनपद में भेजा जाये और ध्यान रखा जाये कि लखनऊ में विवादित छवि के कर्मियों की तैनाती ना हो। बावजूद इसके तबादला सूची में अंजन भगत ब्लॉक आर्गनाइजर का नाम डाल दिया गया।

बता दें कि अंजन भगत रामनगर ट्रेनिंग सेंटर पर हवलदार प्रशिक्षक के पद पर तैनात थे और लगभग छह माह पूर्व इनका प्रमोशन हुुआ। वर्तमान में ये गाजीपुर में तैनात हैं। सब कुुछ जानने के बाद डीआईजी विवेक सिंह ने तबादला सूची में लखनऊ के लिये अंजन भगत का नाम डाल दिया। क्या डीआईजी साहेब को नहीं मालूम की ये विवादित बीओ है। क्या उन्हें नहीं मालूम की इसके खिलाफ कई लोगों से भर्ती के नाम पर लाखों रुपये लेने की जांच चल रहा है ? आखिर उन्होंने पैसों के लेन-देन की जांच पर अभी तक फैसला क्यों नहीं लिया? आखिर मामले को दबाकर क्यों रखा गया है ? क्या आप मंत्री और डीजी की सोच के विपरित भ्रष्टाचार में डूबे कर्मचारियों को लखनऊ लाना चाह रहे हैं ? बात जो भी हो,डीजी बी.के.मौर्या को जैसे ही पता चला कि अंजन भगत ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अपशब्दों को इस्तेमाल फेसबुक पर किया है उन्होंने तत्काल अधिकारियों को बुलाकर उसका तबादला रोकने का निर्देश दिया है।


इस बाबत डीआईजी विवेक सिंह का कहना है कि अंजन भगत प्रकरण पुराना है। उसमें जांच हुयी थी और उसे कठोर चेतावनी का दण्ड भी दिया गया है। डीआईजी साहेब,क्या आपको मालूम नहीं कि चुनाव के दरम्यान आचार संहिता लागू होने पर किसी भी सरकारी कर्मचारी को प्रधानमंत्री या किसी भी दल के नेता के खिलाफ अभद्र भाषा करने का अधिकार नहीं है। सरकारी कर्मचारी किसी भी प्लेटफार्म पर किसी के खिलाफ कुछ ना तो लिख सकता है और ना ही बोल सकता है क्योंकि ये आचरण नियमावली के उल्लंघन के दायरे में आता है। फिर अंजन भगत ने तो प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के खिलाफ फेसबुक पर लिखा है…। नियमत: तो इसे छह माह का कारावास और दो हजार रुपये का आर्थिक दण्ड मिलना चाहिये था। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि मंत्री जी और डीजी लाख चाहें लेकिन जब तक मुख्यालय पर तैनात अधिकारी बिना पक्षपात किये फैसला नहीं लेंगे भ्रष्टाचार कम नहीं होगा।

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