नवाब वाजिद अली शाह चिडिय़ाघर के मछली घर में ‘हैप्पी फिश हैप्पी हाबिष्ट’ प्रोग्राम

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नवाब वाजिद अली शाह चिडिय़ाघर के मछली घर में ‘हैप्पी फिश हैप्पी हाबिष्ट’ प्रोग्राम

प्रोग्राम एक्वेरियम की मछलियों को कैसे स्वस्थ रखें,इसकी जानकारी रखनी जरूरी है: श्रीमती अदिति शर्मा

प्रोग्राम में स्कूली बच्चे,उप निदेशक डॉ. उत्कर्ष शुक्ला,डॉ. पूनम जयंत सिंह,इन्द्रमणि राजा मौजूद थे

 

   दिव्यांश श्री

लखनऊ। दोस्तों,यदि आप अपने घर के एक्वेरियम में ‘रंगीन’, ‘खूबसूरत’ पालने का शौख रखते हैं तो इस बात की जानकारी भी हासिल करें कि आखिर आपकी प्यारी मछलियां कैसे ‘स्वस्थ’ रहें…। खूबसूरत रंग-बिरंगी मछलियों लेते वक्त आप कैसे पहचान करें कि मछलियां बीमारी तो नहीं ? और तो और केमिकल फ्री एक्वेरियम कैसे रखें…। यदि आपके पास सही जानकारियां हैैं तो नि:संदेह आपके घरों के एक्वेरियम में तैरने वाली मछलियां पूरी तरह से ‘स्वस्थ’  रहेंगी जो आपकी ‘आंखों को सुहायेगा’। ये बातें नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में रंगीन मछलियों की बीमारी, पहचान और घरेलू निदान पर आयोजित हैप्पी फिश हैप्पी हाबिष्ट कार्यक्रम में प्राणी उद्यान की निदेशिका श्रीमती अदिति शर्मा ने कही।

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ में स्थित मछलीघर पर रंगीन मछलियों की बीमारी, पहचान और घरेलू निदान के लिये ‘ हैप्पी फि श हैप्पी हाबिष्ट’ अभियान की शुरुवात एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राणि उद्यान के उप निदेशक, डॉ. उत्कर्ष शुक्ला, नेशनल ब्यूरो अॅाफ फि श जेनिटिक रिसोर्सेस की वैज्ञानिक, एससीएसपी नोडल अधिकारी डॅा. पूनम जयंत सिंह, मछली विशेषज्ञ इन्द्रमणि राजा, प्राणि उद्यान के कर्मचारी एवं स्कूली बच्चे उपस्थित रहें।

प्राणि उद्यान की निदेशिका ने अपने सम्बोधन में कहा कि ‘ हैप्पी फि श, हैपी हाबिष्ट’ रंगीन मछलियों की बीमारी, पहचान और घरेलू उपचार के लिये बना ये कार्यक्रम, देश के किसी भी प्राणि उद्यान में होने वाला पहला जागरुकता कार्यक्रम है। रंगीन मछलियों का शौक रखने वालों के लिये ये प्रोग्राम मछलियों की बीमारियों के बारे में उनकी जानकारियों को बढ़ायेगा। जहां उनकी मछली स्वस्थ रहेंगी वहीं वे अपने एक्वेरियम को कैमिकल फ्र ी बना सकेंगे। उन्होंने कहा कि चिडिय़ा घर में आने वाले विजिटर और फि श लवर के लिये एक पम्पलेट भी जारी किया गया है, जिसमें मछलियों की बीमारियों के बारे में जानकारी, उनके लक्ष्ण एवं उसका उपचार कैसे करें, वगैरह सब लिखा है। जब हम मछलियां खरीदते हंै तो उस समय मछली स्वस्थ है या नहीं, इसका चयन कर पाना मुश्किल होता है। ऐसे में इस प्रकार की जानकारी फि श लवर को बहुत मदद करेंगी। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने सामान्य विजिटर और खास तौर पर बच्चों को मोम के कलर बाक्स, फैंसी पेसिंल-पेन भेंट किया।

कार्यक्रम के दौरान नेशनल ब्यूरो ऑफ फि श जेनिटिक रिसोर्सेस की वैज्ञानिक, एससीएसपी नोडल अधिकारी डॅा. पूनम जयंत सिंह ने कहा कि रंगीन मछलियों का चयन और उनके परिवार की जानकारी का शौक रखने वाले लोगों को बहुत सहायता मिलेगी। उन्होंने जू के उक्त जागरुकता कार्यक्रम को मील का पत्थर बताया। बता दें कि डॅा. पूनम एससीएसटी समूह और एसएसजी समूह की महिलाओं को रंगीन मछली के पालन और उसके व्यवसाय से जोडऩे का अनूठा प्रयास कर रही हैं।

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