अनुराग पाल हत्याकांड़ : क्या कमांडेंट बी.के.सिंह ने बेच दी अपनी जमीर…

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डी.जी. बी.के.मौर्या ने बिठायी जांच

 संजय पुरबिया

लखनऊ। सोचिए,जिस मां-बाप के इकलौते मासूम का अपहरण हो जाये…फिर उसकी निर्मम हत्या की खबर मिले…। एक पल में ही उनकी जिंदगी बिखर जायेगी…और जब मां-बाप को ये मालूम चले कि उनके आसपास के लोगों ने ही मिलकर इस जघन्य कांड़ को अंजाम दिया हो,तो सोचिये उस मां-बाप पर क्या गुजरी होगी…। ऐसा लगा होगा कि उनकी जिंदगी पूरी तरह से खत्म हो गयी हो और शायद वो मां-बाप अपने को अभागा भी मान रहे होंगे कि आखिर उनसे कौन सी खता हुयी कि ईश्वर ने उन्हें जीते जी इतनी बड़ी सजा दे दी…। किसी भी परिवार में ऐसा होगा तो इंसानियत के नाते पूरा समाज उनके साथ सहानुभूति के लिये खड़ा होगा लेकिन क्या इंसानियत अभी जिंदा है ? ये सवाल इसलिये उठा रहा हूं क्योंकि मिर्जापुर में रहने वाले मंगलपाल के एकलौते पुत्र अनुराग पाल उम्र 9 वर्ष का अपहरण कर उसकी निर्मम हत्या कर दी गयी। उस वक्त पूरा जनपद सिहर उठा था…। हर कोई अपराधियों को फांसी की सजा या सख्त से सख्त सजा दिलाने की मंाग कर रहा था…। यहां तक की पुलिस वाले भी दिन-रात एक कर अपराधियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजने के लिये बेचैन थे। पुलिस की मेहनत रंग लायी और सारे अपराधी जेल की सलाखों में पहुंच गये। इन्हीं अपराधियों में एक खाकी पहनने वाला होमगार्ड ओमप्रकाश यादव भी था। हत्या में शामिल होने की वजह से ओमप्रकाश यादव को सजा हुयी और फिलवक्त वो जमानत पर है जिसे मिर्जापुर के प्रमोटी कमांडेंट बी.के.सिंह उर्फ बिनोद कुमार सिंह ने बहाल कर दिया है। द संडे व्यूज़ का सवाल है कि क्या होमगार्ड विभाग के प्रमोटी कमांडेंट ने इंसानियत बेच दिया है ? क्या उनकी नजरों में मासूम की निर्मम हत्या करने वाला हत्यारा बेकसूर है ? अपना जमीर बेचते वक्त कमांडेंट ने ये भी नहीं सोचा कि वो मासूूम भी अपने मां-बाप के जीगर का टुकड़ा था ?

चर्चा है कि कमांडेंट बी.के.सिंह कोर्ट के आदेश का कुछ हवाला देकर बचने की राह ढूंढ रहा है लेकिन सवाल यह भी है कि जब पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दिया है तो फिर वो कौन होता है बहाल करने वाला? अब कोर्ट ही तय करेगी कि इस जघन्य कांड़ में शामिल अभियुक्तों को क्या सजा सुनायी जाये…। कमांडेेंट को मालूम था कि ओमप्रकाश यादव अनुराग पाल की हत्या में शामिल है और उसे जेल भेज दिया गया है तभी तो उन्होंने उसे निलंबित किया…। जब निलंबित किया तो तीन माह बाद उसे बहाल कैसे कर दिया ?

 

इससे साफ है कि कमांडेँट बी.के.सिंह ने सौदेबाजी की है। मिर्जापुर में तो दो लाख में बहाली की बातें चल रही है,जिसे द संडे व्यूज़ खारिज करता है…। लेकिन द संडे व्यूज़ डंके की चोट पर कहता है कि बिना लिये कमांडेंट ने उसे बहाल नहीं किया होगा…। द संडे व्यूज़ का सवाल है कि आखिर शासनादेश का उल्लंघन करते हुये कमांडेंट ने ओमप्रकाश यादव को क्यों बहाल किया। बहरहाल, डीजी होमगार्ड बी.के. मौर्या ने मामले को गंभीरता से लेते हुय जांच बिठा दी है।

बता दें कि द संडे व्यूज़ ने 22 अक्टूबर को मासूम की निर्मम हत्या करने वाले जवान को कमांडेंट बी.के.सिंह ने किया बहाल शीर्षक से खबर प्रकाशित किया। खबर का सार है कि 6 अप्रैल 2023 को मिर्जापुर के थाना चुनार में पडऩे वाले बगहा गांव में अर्धनिर्मित सरकारी अस्पताल से कुछ दूरी पर पानी के टंकी के पास बने तालाब में एक बच्चे का शव मिला। शव पत्थर की पटिया में मच्छरदानी के कपड़े से बांध कर फेंका गया था ताकि किसी को सबूत ना मिले। शव मिलने की सूचना से पूरे मिर्जापुर में हड़कम्प मच गया। हत्यारों ने बेरहमी से उस बच्चे की हत्या की थी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव की शिनाख्त मंगलपाल के एकलौते पुत्र अनुराग पाल उम्र के रुप में की। पुलिस ने न्यायालय में जो जार्चशीट दाखिल कर दी। उसके मुताबिक मंगलपाल पुत्र स्व. डंगरपाल निवासी ग्राम पेढ़ थाना घोरावल,जनपद सोनभद्र की जमीन पर कब्जा को लेकर अभियुक्त इन्द्रजीत यादव,अमरजीत यादव, पुत्र शिवशंकर यादव व राजेश यादव पुत्र रमाशंकर यादव निवासी ग्राम पेढ़ थाना घोरावल,जनपद सोनभद्र ने बेटे अनुराग पाल की हत्या कर दी।

अभियुक्त इन्द्रजीत यादव ने अपने बुआ मनावती के लड़के बाल अपचारी करन यादव उर्फ गोलू यादव पुत्र ओमप्रकाश यादव व फुफा अभियुक्त ओमप्रकाश यादव पुत्र स्व. जीवनाथ यादव निवासी ग्राम सबेसर थाना कछवा जनपद मिर्जापुर के साथ मिलकर षडय़ंत्र रचकर योजना बनायी कि मंगलपाल के एकलौते पुत्र नौ वर्षीय अनुराग पाल का अपहरण कर फिरौती की मांग की जाये। इसी योजना को अंजाम देने के मकसद से अपचारी करन यादव और ओमप्रकाश यादव ने अभियुक्त गणेश प्रताप सिंह पुत्र पारसनाथ सिंह निवासी बगहा,थाना चुनार,मिर्जापुर से बात की। उसके बाद अभियुक्त गणेश प्रताप सिंह व करन यादव ने अपने आपराधिक प्रवृत्ति के साथी अभियुक्त लवकुश यादव पुत्र राधेश्याम यादव निवासी सागरपुर जनपद मिर्जापुर के साथ मिलकर तय किया कि किस दिन और कैसे अनुराग पाल का अपहरण करना है। 4 मार्च 2023 को अभियुक्त इन्द्रजीत यादव व करन यादव पेढ़ गांव पहुंचे और अनुराग पाल को इशारे से जुडिय़ा नहर पुलिया चौराहे के पास बुलाया। अनुराग साइकिल लेकर जुडिय़ा चौराहा आया तो उसके पीछे गोरखपाल व गांव के कुछ अन्य लड़के पहुंच गये,जिसकी वजह से अपहरण करने का मौका इनलोगों के हाथ से निकल गया। उसके बाद अनुराग पाल को अभियुक्त इन्द्रजीत यादव व करन यादव पोखरे के पास लालच देकर सिगरेट,बीयर पिलाने के लिये बुलाते हैं। ये लोग अनुराग पाल को सिगरेट व बीयर पिलाकर अपने अपाची मोटरसाइकिल पर बिठाकर गणेश प्रताप सिंह के गांव बगहा थाना चुनार जनपद मिर्जापुर स्थित अर्धनिर्मित अस्पताल में ले जाते हैं।

उधर,शाम तक जब अनुराग पाल घर नहीं पहुंचता तो परिजन परेशान होकर ढूंढने निकल पड़ते हैं तो अनुराग का मित्र किशनपाल ने बताया कि अनुराग पाल को सफेद रंग की अपाची मोटरसाईकिल के साथ पेढ़ चौराहे की तरफ जाते देखा था। वह मोटरसाईकिल दोपहर में इन्द्रजीत यादव अपने रिश्तेदार बुआ का लड़का गोलू यादव के साथ आते देखा था। शंका होने पर पर मंगलपाल ने थाने में इन्द्रजीत यादव,अमरजीत यादव,राजेश कुमार यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिसिया कार्रवाइ्र ना होने पर वादी ने गांव वालों के साथ थाने का घेराव व रास्ता जाम कराया जिस पर अपहरणकर्ता गणेश प्रताप सिंह व करण यादव को लगा की उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकती इसलिये उनलोगों ने 6 अप्रैल 2023 को अबोध बालक अनुराग पाल की हत्या कर अर्धनिर्मित अस्पताल से कुछ दूरी पर पानी के टंकी के पास स्थि तालाब में सबूत मिटाने के लिये डुबो दिया। पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुये धारा 120 बी भादवि में बढ़ोत्तरी करते हुये करन यादव पुत्र ओमप्रकाश यादव निवासी सबेसर,कछवा,मिर्जापुर का नाम बढ़ाया। 10 मार्च 2023 को इन्द्रजीत यादव,राजेश कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया गया और इनकी निशानदेही पर अपहृत,मृतक अनुराग पाल का शव बरामद कर लिया गया। 16 मार्च 2023 को प्रकाश में आये अभियुक्त पारसनाथ सिंह पुत्र रामयश सिंह उर्फ रामजग निवासी बगहा,चुनार,मिर्जापुर व अभियुक्त ओमप्रकाश सिंह यादव पुत्र स्व.जीवनाथ यादव निवासी सबेसर, कछवा, मिर्जापुर के नाम की बढ़ोत्तरी किया गया है। उक्त सभी अभियुक्तों के खिलाफ जुर्म धारा 364,302, 201,34,120 बी भादवि का अपराध बाखूबी प्रमाणित है। इस तरह अनुराग पाल हत्याकांड़ में शामिल सभी अभियुक्त जेल की सलाखों में चले गये और होमगार्ड ओमप्रकाश यादव पुत्र स्व.जीवनाथ यादव जमानत पर छूटकर बाहर टहल रहा है।

जेल से छूटने के बाद ओमप्रकाश यादव ने दुबारा होमगार्डी की नौकरी पाने के लिये मिर्जापुर के जिला कमांडेंट कार्यालय का चक्कर काटने लगा। मिर्जापुर में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि इस हत्याकांड़ की जानकारी होने पर जिला कमांडेंट बी.के.सिंह ने 6 जून को पत्रांक संख्या 1055 से आदेश जारी किया कि अभियुक्त ओमप्रकाश यादव पुत्र स्व. जीवनाथ यादव के खिलाफ थाना घोरावल जनपद सोनभद्र में अभियोग पंजीकृत किये गये है। आपराधिक मामलों में अभियोग पंजीकृत होने के बाद जेल में निरुद्ध होने पर तत्काल ओमप्रकाश यादव को निलंबित किया जाता है। बताया जाता है कि निलंबित होने के बाद अभियुक्त ओमप्रकाश यादव ने कमांडेंट बी.के.सिंह से संपर्क साधा। बताया जाता है कि कमंाडेंट की डिमांड को ओमप्रकाश यादव ने पूरा कर दिया, उसके बाद 23 सितंबर को कमांडेंट बी.के.सिंह एक और पत्र जारी करते हैं। पत्रांक संख्या1645 में उन्होंने लिखा है कि पुलिस अधीक्षक मीरजापुर के पत्र के आधार पर अभियुक्त ओमप्रकाश यादव से स्पष्टïीकरण मांगी गयी थी,उसके द्वारा प्रत्युत्तर ना देने पर कंपनी प्रभारी बीओ व अवैतनिक प्लाटून कमांडर रमेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट के आधार पर ओमप्रकाश यादव को निलंबित कर दिया गया था। आगे कमांडेंट साहेब ने लिखा है कि ओमप्रकाश यादव द्वारा 11 सितंबर को अधोहस्ताक्षरी के समक्ष उपस्थित होकर प्रार्थना पत्र के माध्यम से उच्च न्यायालय के आदेश 17 जुलाई 2023 उपलब्ध कराया गया,पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुये श्री यादव को उच्च न्यायालय के आदेश के अधीन कर शर्त के साथ बहाल किया जाता है कि न्यायालय के द्वारा जो भी अंतिम निर्णय,आदेश पारित किये जायेंगे,वह मान्य होगा। उस समय विधि सम्मत कार्यवाही अमल में लायी जायेगी।

कमांडेंट के निर्देश पर तत्काल विभागीय कर्मचारियों ने अभियुक्त होमगार्ड ओमप्रकाश यादव रेजीमेंट आई.डी. 5597 021228 से 112 डॉयल दो पहिया वाहन चालक , पुलिस लाईन मीरजापुर में 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक यानि एक माह के लिये तैनात कर दिया। मासूम का हत्यारा होमगार्ड ओमप्रकाश यादव सीना ठोंकर कर नौकरी करने लगा। उधर, कमांडेंट बी.के. सिंह के इस अपत्याशित फैैसले ने पूरे मीरजापुर में तहलका मचा दिया। चर्चा है कि अभियुक्त ओमप्रकाश यादव ने दो लाख रुपये में वर्दीधारी अधिकारी को खरीद लिया है। हालंाकि इस बात की पुष्टि द संडे व्यूज़ नहीं कर रहा है। सवाल है कि आखिर एक प्रमोटी कमंाडेंट शासनादेश के खिलाफ क्यों गया ? बी.के.सिंह कमांडेंट हैं,इसलिये ये भी नहीं कहा जा सकता कि उन्हें शासनादेश की जानकारी नहीं थी। सवाल यह है कि कमांडेंट ने एक ऐसे अपराधी के हांथो बिक गया,जो एक मां-बाप के इकलौते बेटे की निर्मम हत्या में शामिल था…।

सोचिये,किस तरह हत्यारों ने 9 वर्ष के बच्चे को तड़पा-तड़पा कर मारा होगा…। कमांडेंट बी.के.सिंह ने ये भी नहीं सोचा कि मासूम के हत्यारे से ली गयी रकम वो हजम कर पायेगा…। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि प्रमोटी कमांडेंट बी.के.सिंह ने अपराधी को बहाल करने के एवज में कुछ ना कुछ लिया जरुर होगा…क्योंकि शासन के आदेश की धज्ज्यिां कोई मुफ्त में नहीं तोडऩे की जुर्रत करता है। बात जो भी हो,देखना है कि मासूम के हत्यारे पर मेहरबानी कर वर्दी को कलंकित करने वाले प्रमोटी कमांडेंट बी.के.सिंह के खिलाफ कार्रवाई कर अफसरान वर्दी पर लगे धब्बे को धोने का काम करते हैं या फिर मनीष दूबे की तरह…। 

 

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