विपक्ष में सेंधमारी का अभियान तेज होगा
लखनऊ। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को मिली जीत से उत्तर प्रदेश में भी पार्टी को ताकत मिलेगी। इस ताकत से पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव में मिशन 80 की राह कुछ आसान होगी। जीत से प्रदेश भर में उत्साहित कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। पार्टी ने इस उत्साह और मनोबल को लोकसभा चुनाव तक बरकरार रखने की तैयारी की है।
एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों ही प्रदेश यूपी के सीमावर्ती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एमपी में जीत का असर यूपी के बुंदेलखंड के कुछ जिलों तक होगा। वहीं राजस्थान में जीत का प्रभाव पश्चिमी यूपी के मथुरा, आगरा सहित अन्य जिलों तक होगा। छत्तीसगढ़ में जीत पूर्वांचल के कुछ जिलों में माहौल बनाने में असर डालेगी।
विश्लेषकों का मानना है कि एग्जिट पोल में जिस तरह के नतीजे आ रहे थे उससे प्रदेश में पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं बड़े नेता भी चिंतित थे। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद अदने से आला तक सभी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है।पार्टी ने तीनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और नेतृत्व पर चुनाव लड़ा था। आगामी लोकसभा चुनाव में भी पार्टी का चेहरा मोदी ही होंगे। ऐसे में इस जीत से यूपी में मतदाताओं के बीच मोदी के प्रति विश्वास और मजबूत करने में पार्टी को मदद मिलेगी।
पार्टी ने जीत के इस माहौल और उत्साह को लोकसभा चुनाव तक बनाए रखने की रणनीति बनाई है। पार्टी के आगामी कार्यक्रमों और अभियानों में पार्टी की जीत और विपक्ष की हार को प्रमुखता से जनता के बीच रखा जाएगा। इस जीत के जरिये जनता के बीच मोदी की गारंटी को भी मजबूती से रखा जाएगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि तीन राज्यों में भाजपा की जीत के बाद विपक्षी दलों के बड़े नेताओं को झटका लगेगा। ऐसे में वह अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित करने के लिए भाजपा में शामिल होने का प्रयास करेंगे। पार्टी की ओर से भी सपा, बसपा और कांग्रेस में सेंध लगाने का अभियान तेज किया जाएगा।