यूपी में पर्यटकों के सैलाब की आहट…

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रोज़गार, राजस्व, पर्यटन और विकास को बढ़ा रहे धार्मिक स्थल

नवेद शिकोह

लखनऊ। भारतवासियों के विभिन्न धर्म और आस्थाएं केवल विश्वास नहीं है, ये विकास को आगे बढ़ाने का धर्म भी हैं। उत्तर प्रदेश में तो धार्मिक स्थलों, प्राकृतिक संपदाओं और सांस्कृतिक धरोहरों का ख़ज़ाना है। यहां रोज़गार,व्यापार की उन्नति-प्रगति, राजस्व को बढ़ावा और पर्यावरण की रक्षा का धर्म निभाते हैं हमारे धर्म और धार्मिक स्थल। भारतीय नागरिकों की आस्था संपूर्ण जीवन पद्धति है। विश्वास, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक शक्ति वाले धर्म ज़िन्दगी जीने का सलीका सिखाते हैं। पत्थरों से लेकर पशु-पक्षी, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों, सूरज, वायु, धरती और नदियों की भी हम पूजा करते हैं। और इस तरह हमारा धर्म और हमारी आस्था पर्यावरण की रक्षा करती है। यही कारण हैं कि हमारी सांस्कृतिक धरोहरें और धार्मिक स्थल सबसे बड़े पर्यटक स्थल साबित होते हैं।

 

अतीत के हजारों वर्षों के इतिहास वाले भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों का वर्तमान और भविष्य उज्जवल और सुनहरा दिख रहा है। अयोध्या में बहुचर्चित राम मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा है। हज़ारों वर्षों के इतिहास वाले वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार और ऐतिहासिक भव्य कॉरीडोर दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। बुंदेलखंड के दुर्ग और किले का कायाकल्प भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का विषय बनेंगा। इन दिन उत्तर प्रदेश में ईको टूरिज्म भी पर्यटकों की पसंद बनने जा रहा है। पर्यटन विभाग ने वन विभाग के साथ मिलकर ईको टूरिज्म को बढ़ावे देने के लिए नई योजना पर काम शुरू किया है। ये योजना तमाम फायदे देंगी। प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ावा दिया जाएगा तो पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा। जिससे पर्यटक आकर्षित होंगे और राजस्व बढ़ेगा। साथ ही रोज़गार की संभावनाएं बढ़ेंगी और प्रदेश के विकास की रफ्तार भी तेज़ होगी।

उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों के संरक्षण, निर्माण, पुनरोद्धार, रख-रखाव और सजाने-संवारने का जो काम चल रहा है ये प्रयास निश्चित तौर से पर्यटन को और भी बढ़ावा देगा। अब हम अपने गौरवशाली इतिहास की ही नहीं गौरवशाली वर्तमान की उपलब्धियों को भी गिना कर गौरवान्वित हो सकते हैं। हज़ारों वर्षों पुराना देश और यहां की संस्कृति,हज़ारों सालों पुराना धर्म और उसके धार्मिक स्थल, कौन इसका रक्षक है? एक आस्था है, जो पुरातनकाल से आज तक ज़िंदा है। ये कभी गंगा के घाटों पर तो कभी अयोध्या के मंदिरों में बहुत आकर्षित, कलात्मक और सांस्कृतिक अंदाज में हजारों वर्षों से नजर आती रही है। इस आस्था में मानवता है, संस्कृति है, कला है, शिल्प है, साहित्य है,पर्यावरण की रक्षा का प्रण है, ज़िन्दगी जीने का सलीका है, जीवन है, दर्शन है। बस इसी दर्शन का दर्शन करने दुनिया के पर्यटकों का हुजूम हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर आता है।

इधर कुछ वर्षों में यूपी में पर्यटकों की तादाद बढ़ रही है। लगातार हो रहे प्रयासों से संभावनाएं बढ़ रही हैं कि पर्यटकों की दिलचस्पी और भी बढ़ेगा। जिसके बहुत सारे कारण हैं। जिसमें बहुचर्चित अयोध्या का निर्माणधीन राममंदिर है और काशी विश्वनाथ मंदिर का नया स्वरूप है। ईको टूरिज्म और बुंदेलखंड के दुर्ग-किलों का कायाकल्प जैसे अनेकों प्रयास व उपलब्धियां ना सिर्फ उत्तर प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देंगे बल्कि प्रदेश की तरक्की के रास्ते तय करेंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह का दावा है कि पिछले ६ माह में यूपी में देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यूपी अब देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए सबसै पसंदीदा प्रदेश बन गया है। वैश्विक महामारी यानी कोरोना के असर से जब दुनिया भर में पर्यटन लगभग ठप्प रहा तब प्रदेश में पर्यटकों की तादाद में कमी नहीं बढ़ोतरी होती रही। २०२२ जनवरी से जून तक उत्तर प्रदेश में ७ करोड़ से ज्यादा पर्यटको पहुंचे हैं।
इस उपलब्धि की वजह योगी सरकार द्वारा धार्मिक आयोजनों, उत्सवों और धार्मिक स्थलों पर ध्यान देना बताया जा रहा है। कुंभ का आयोजन और अयोध्या में दीपावली पर दीपोत्सव जैसे आयोजनों का आकर्षण सैलानियों की संख्या बढ़ा रहे हैं। सरकारी आंकड़ों की मानें तो वर्ष २०१९ में देश में आने वाले भारतीय और विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमश: ५३ करोड़ ५८ लाख ५५ हजार १६२ एवं ४७ लाख ४५ हजार १८१ रही। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष २०१२ से २०१७ के बीच में उत्तर प्रदेश में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमश: ९९.०७ करोड़ एवं १.१९ करोड़ रही। २०१७ से २०२१ के दरम्यान बढ़कर ये तादाद क्रमश: १२५.०७ एवं १.३१ करोड़ तक पंहुच गई। ये इजाफा व्यापार और रोज़गार के साथ राजस्व में बढ़ोतरी कर रहा है।

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