करवा चौथ की पूजा में इन चीजों का रखें ध्यान

0
143

नई दिल्ली सनातन धर्म में करवा चौथ के पर्व का बेहद महत्व है। इस शुभ दिन को ‘करक चतुर्थी’ के नाम से भी जाना जाता है, जो 1 नवंबर को है। इस त्योहार के दौरान सुहागन महिलाएं अपने पतियों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही उनकी लंबी आयु की कामना करती है।

करवा चौथ पर भगवान गणेश, मां पार्वती, भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा का विधान है। और चंद्रमा को देखकर इस व्रत को खोला जाता है। व्रत को रखने के कई नियम बताए गए हैं, जिसका ध्यान हर किसी को रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं –

व्रत के दौरान इन नियमों का करें पालन

करवा चौथ पर महिलाओं को लाल रंग का जोड़ा पहनना चाहिए, क्योंकि यह शुभ माना जाता है। हालांकि कुछ अन्य रंग भी हैं, जिन्हें पहन सकते हैं, जिनमें पीले, हरे, गुलाबी और नारंगी रंग शामिल हैं, जबकि काले या सफेद रंगों से बचना चाहिए।

सोलह शृंगार करना और हाथों पर मेहंदी लगाना करवा चौथ पूजा का एक और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। सुहागन महिलाओं को करक चतुर्थी से एक दिन पहले अपने हाथों पर मेहंदी लगानी चाहिए और पारंपरिक कपड़े, मंगलसूत्र, एक नाक पिन, बिंदी, चूड़ियाँ, झुमके, अंगूठियां और बहुत कुछ पहनना चाहिए। शृंगार और मेहंदी सौभाग्य, समृद्धि और सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक हैं।

  • सरगी करवा चौथ व्रत का एक अहम भाग है। यह एक विशेष थाली होती है, जिसमें विवाहित महिलाओं को उनकी सास खाने की चीजें भेंट करती हैं। व्रत शुरू करने से पहले सुबह के भोजन के रूप में सरगी का सेवन करना चाहिए।
  • सुबह के भोजन में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। क्योंकि ये पचने में अधिक समय लेते हैं और आपको लंबे समय तक तृप्त रखेंगे।
  • व्रत शुरू करने से पहले जितना हो सके उतना पानी पी लें। क्योंकि बिना पानी से सिरदर्द और थकान होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही एसिडिटी से बचने के लिए कॉफी और चाय न पीएं।
  • करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं को कैंची, सुई या चाकू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को करवा चौथ का व्रत रखने से बचना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए तनावपूर्ण हो सकता है और उनके स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।
  • विवाहित महिलाओं और उनके परिवारों को इस दिन तामसिक भोजन खाने से बचना चाहिए ।
  • विवाहित महिलाओं को करवा चौथ पूजा में भाग लेना चाहिए और व्रत खोलने से पहले शाम को कथा सुननी चाहिए। इस अनुष्ठान का पालन किए बिना निर्जला व्रत अधूरा माना जाता है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here