पत्नी की याद में आई.पी.एस. आदित्य वर्मा की ये लेखनी पढ़ आपकी ‘आंखें’ भी हो जाएंगी ‘नम’

0
793
पत्नी की याद में आई.पी.एस. आदित्य वर्मा की ये लेखनी पढ़ आपकी आंखें भी हो जाएंगी नम
 
     शेखर यादव  
इटावा। कोरोना काल में इस देश में हजारों घर बर्बाद हो गए। कोरोना की दूसरी लहर में आई.पी. एस.आदित्य  वर्मा की धर्मपत्नी भी इस दुनिया को अलविदा कह गयी। ‘द संडे व्यूजकी तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि। आदित्य वर्मा ने अपनी पत्नी को याद करते हुए आज एक ऐसा आर्टिकल लिखा कि उनकी कलम से निकला एक-एक शब्द हर पाठक को भावुक कर देगा ।बहुत कम लोग जानते हैं कि उनकी पत्नी का निधन  कोरोना  काल में हृदय गति रुक जाने से हो गया था, जिसके बाद वो निजी रूप से टूट गए थे, परंतु उन्होंने सरकारी सेवा में कभी अपना निजी दुख आड़े, नहीं आने दिया और न ही कभी वाणी से व्यक्त ही किया। लेकिन पता नहीं आज ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने अपनी निजी पीड़ा पर एक भावुक लेख लिखा है, उनका अपने जीवन के घटनाक्रमों और दुःख-दर्द में भीगी हुई कलम से लिखा हुआ यह अदभुत लेख है… आप पढ़िए… आपकी आंखें भी निश्चित रूप से नम हो जाएंगी। आदित्य वर्मा इस समय 43 बटालियन पीएसी के सेनानायक है वह एटा में तैनात हैं।
आईपीएस आदित्य  वर्मा की कलम से
19 अप्रैल 2021 को यथार्थ होस्पिटल के मालिक डॉक्टर त्यागी ने रात्रि 10 बजे अस्पताल के बाहर आकर कहा की आप बहुत विलंब से आए हैं… हम कोशिश करते है लेकिन सुबह 6.30 बजे डॉक्टर का फोन आया कि उनका हृदय काम नहीं कर रहा है… मैने भी सब कुछ जानते हुए यही कहा कि डॉक्टर साहब कोशिश करिए। 6. 45 पर डॉक्टर का फोन आया कि अब वो नहीं है। मेरे तो समझ में ही नहीं आया कि मैं क्या करूं, बेटी पूना में, बेटा कासगंज में और मैं नोएडा में अस्पताल में। 11बजे पत्नी का शव अस्पताल से मिला और बड़ी मुश्किल से कानपुर जाने के लिए एंबुलेंस मिली। पत्नी का शव एंबुलेंस पर रखकर चल दिया एक हाथ उनके शव पर था कि कहीं वो गिर न जाए। एंबुलेंस चली जा रही थी दिमाग 1994 मे चला गया …।
उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते-जाते जो कह रही है…
मैं जा रही हूँ
अब फिर कभी नहीं मिलेंगे… मैं जा रही हूँ। जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ- साथ जियेंगे ऐसा वचन दिया था |पर इस  समय अचानक अकेले जाना पड़ेगा ये मुझ को पता नहीं था।
मुझे जाने दो
मैं जा रही हूँ अपने आंगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ। आप अकेले पड़ जायेंगे |लेकिन मैं मजबूर हूँ, अब मैं जा रही हूँ…। मेरा मन नही मान रहा पर अब मै कुछ नहीं कर सकती।
मुझे जाने दो
बेटा और बेटी रो रहे है मैं ऐसा नहीं देख सकती और उनको दिलासा भी नही दे सकती हूँ। उन्हें चुप कराओ, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे हो। अपना भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न हों। आँखों से आँसू मत बहने देना… |
मुझे जाने दो
अभी बेटी पूना से आएगी और मेरा मृत  शरीर देखकर बहुत रोएगी | उसे संभालना और शांत करना। और आप भी  बिल्कुल भी नही रोना…। बस इतनी हिम्मत रखना… |
मुझे जाने दो
जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनिया में आया है वो यहाँ से ऊपर गया है। यह प्रकृति का नीयम हैं |धीरे धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नही करना। और इस जीवन में फिर से काम मे डूब जाना। अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल देना। गुमसुम न रहना… |
मुझे जाने दो
आप ने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना है। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना। आपको अकेला छोड़ कर जाते मुझे बहुत कष्ट हो रहा है। ईश्वर ने इतने दिन ही साथ रहने का लेख लिखा है …|
मुझे जाने दो
आपको डायबिटीज है। खानपान में लापरवाही मत करना खाने पीने में कोई नियम नहीं है तुम्हारा. बड़ी देर तक ऑफिस में बैठे रहते हो । दवा लेना न भूलना। लापरवाह बहुत हो …दवा खत्म होने वाली होती लेकिन दवा मंगाते नही हो… खत्म होने से पहले दवा मंगा लिया करना।अब मैं नहीं हूं,यह समझ कर जीना सीख लेना…।
मुझे जाने दो
बेटा और बेटी कुछ बोले तो चुपचाप सब सह और सुन लेना…। कभी गुस्सा नही करना…। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नही होना,कि मैं अकेला हूँ… |
मुझे जाने दो
अपने दोस्तों  के साथ समय बिताना।  अगर मेरी याद आये तो चुपचाप रो लेना ,लेकिन कभी कमजोर नही होना…।
मुझे जाने दो
मेरा मोबाइल कहां है, गाड़ी में bag रखा की नही है । अब ऐसे चिल्लाना मत…। अब जैसा बन जाए वैसा खाने की आदत डाल लो अब तुम्हारी इच्छाओं का ध्यान रखने वाला कोई नहीं है। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। जो भी रूखा – सूखा खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नही करना। मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना…।
मुझे जाने दो
यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा  करना पसंद नहीं आएगा। आप चुपचाप वृद्धाआश्रम चले जाना… ।
मुझे जाने दो
बिस्तर से उठते समय झटके से मत उठना… थोड़ा रुक कर बिस्तर से उतरना। अपने आप को बूढ़ा समझना…
मुझे जाने दो
शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चे दिए। अब उस फूलों की सुगंध मुझे नही मिलेगी…।आप बगिया को मेरी जगह,प्यार से निहारते रहना… |
मुझे जाने दो
तुम मुझे सुबह उठकर तीन बार जगाते थे अब किसी को जगाने का मौका तुम्हे नही मिलेगा…।
मुझे जाने दो
बिहारी जी को मानते हो उनका हाथ कभी मत छोड़ना अंतिम समय तक उनको रोज याद करना…।
मुझे जाने दो
बेटी फ्रांस से MA करना चाहती है उसको वही से एम.ए. कराना, बेटे को ध्यान रखना उसका कैरियर उसके हिसाब से बनने देना।
अब  फिर कभी नहीं मिलेंगे !
मुझसे कोईभी गलती हुई हो तो मुझे माफ कर देना…।
मुझे जाने दो
जब तुम थक कर आते थे तो मैं तुम्हारे पैर गर्म पानी में डलवा कर बैठाती थी और उसके बाद तुम्हारे पैर दबाती थी। अब तुम्हारा ध्यान रखने वाला कोई नहीं मिलेगा। अपना ध्यान खुद रखना होगा…।
(मुझे जाने दो)
मैं जा रही हूं ,बाथरूम में तुम्हें शैंपू और फेसवॉश में कोई अंतर नही लगता थोड़ा ध्यान से नहाया करना, नहीं तो बच्चे मजाक उड़ाएंगे।
मुझे जाने दो
महीने में एक बार टूथ ब्रश चेंज कर लिया करना। जब कहीं जाना हो तो अपना शेविंग किट और कंघा जरूर रख लिया करना, क्योंकि इस मामले में तुम फॉलोवरों पर ज्यादा निर्भर रहते हो।
मुझे जाने दो
मैं जा रही हूं अब तुम्हें कोई पूछने वाला नहीं है कि कब घर आओगे लेकिन समय से घर आकर खाना समय से खाते रहना…।
(मुझे जाने दो) 
जब तुम ट्रैक पैंट पहन कर ट्रैवल करते हो तो बेल्ट घर पर ही भूल जाते हो बाद में बहुत दिक्कत होती है, बेल्ट का ध्यान रखना।
आइए, हम संकल्प करें कि अपनी धर्म-पत्नी के साथ आजीवन सम्मानपूर्ण व्यवहार करते हुए उसे ‘दोस्त’ की तरह प्यार करें। कभी भी जीवन मैं पत्नी के मन को ठेस ना पहुंचाएं वह महसूस करती है बयां नहीं कर पाती क्योंकि आपका सम्मान करती है ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here